इंदौर : देश के कई राज्यों में सियासी माहौल अपने चरम है, इन राज्यों में कृषि संसाधनों से समृद्ध मध्यप्रदेश का नाम भी आता है, जिसे अपनी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था के लिए देश में अलग ही पहचान मिली हुई है। अपनी गेहूं, चना, चावल, मक्का, सरसों और अरहर जैसी फसलों में अव्वल रहने वाले मध्यप्रदेश के इंदौर शहर को सोयाबीन की मंडी के लिए भी देशभर के प्रमुख केंद्र का दर्जा प्राप्त है। लेकिन एक समृद्ध कृषि राज्य होने के बावजूद सूबे के हजारों किसान ऐसे हैं जो कुछ गंभीर समस्याओं का सामना करते हुए सड़कों पर उतर कर, आंदोलन करने के लिए मजबूर हैं। राज्य में बने सियासी माहौल से इतर कुछ किसान हितैषी संस्थाए ऐसी भी हैं जिनका मानना है कि राज्य किसानों की मुख्य समस्याओं के निवारण के लिए उन्हें डिजिटल रूप से सशक्त बनाए जाने की जरूरत है।
कृषि आधारित मोबाइल एप्लीकेशन ’ग्रामोफोन’, मौजूदा समय में मध्यप्रदेश के ज्यादातर किसानों के लिए एक नए व डिजिटल पार्टनर के रूप में उभरा है। ग्रामोफोन सभी प्रकार की कृषि आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए किसानों को एकमुश्त समाधान सौंपने के साथ उन्हें डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ने में अग्रदूत की भूमिका निभा रहा है। इस मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से किसान बेहतर पैदावार के लिए समय पर सूचना, तकनीक, फसल सलाहकार और मौसम जैसे तमाम मुद्दों की सटीक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ग्रामोफोन द्वारा डिजिटल रूप से कृषि समस्याओं का हल निकालना किसानों को खूब भी रास आ रहा है और शायद यही कारण हैं कि ग्रामोफोन ऐप का इस्तेमाल कर मध्यप्रदेश समेत देश के हजारों किसानों ने अपनी फसल पैदावार में सकारात्मक अंतर को अंजाम दिया है।
ग्रामोफोन ऐप के फाउंडर डायरेक्टर तौसीफ अहमद खान के अनुसार, “कृषि को लाभकारी व्यवसाय बनाने में राज्य सरकारों का प्रमुख योगदान होता है। सरकारों की कृषि संबंधी योजनाओं में संसाधन प्रबंधन या तकनीकी विकास की झलक तो देखने को मिलती है लेकिन इन योजनाओं की जमीनी हकीकत कई बार भिन्न हो जाती है। जरूरी है कि राज्य सरकारें किसानों को मुख्यधारा में लाने के लिए उन्हें डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की दिशा में काम करें। जिस प्रकार केंद्र सरकार देश में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है, उसके अंतर्गत किसानों को भी डिजिटल माध्यमों के प्रति प्रेरित करना चाहिए। उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य व निश्चित इनकम जैसे अन्य पहलुओं पर ध्यान देते हुए, कुछ नए मंत्रालयों व योजनाओं के जरिए किसानों को डिजिटल बनाने के प्रयास किए जाने की जरूरत है।“
वह आगे बताते है कि, यदि हम देश के लाखों करोड़ों किसानों को डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ने में कामयाब हो जाते हैं तो किसानों की आधी से अधिक समस्याएं यूं ही समाप्त की जा सकती हैं। डिजिटल प्लेटफार्म से जुड़ने के बाद वह कृषि विशेषज्ञों से सीधा संपर्क साध सकते हैं, फसल, कीटनाशकों व मंडी भावों की सटीक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, हालांकि इसके लिए सबसे पहले उन्हें डिजिटलीकरण के लिए शिक्षित किए जाने के साथ ऐसे संसाधनों से सम्पन्न किए जाने की जरुरत है जिनके माध्यम से वह बिना किसी झंझट अपनी कृषि संबंधी समस्याओं का हल प्राप्त कर सकें।
तौसीफ का मानना है कि डिजिटलीकरण किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। भारत की ज्यादा आबादी कृषि पर आधारित है। किसान अब कुछ ही सेकेंड में अपनी फसल और खेती की संपूर्ण जानकारी ले सकते हैं। ई-कॉमर्स के माध्यम से अब घर बैठे ही अपना कारोबार विकसित किया जा सकता है। इससे कम समय, कम पैसे में अच्छा मुनाफा हासिल किया जा सकता है। उनके अनुसार डिजिटलीकरण के माध्यम से कृषि क्षेत्र को भी शिखर पर पहुंचाने में सफलता हासिल हो सकती है। ग्रामोफोन ऐप किसानों को सभी प्रकार के कृषि उपकरणों को खरीदने की सुविधा देने से लेकर सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले बीज, फसल पोषक तत्वों, कीटनाशकों, फंगलसाइड और जड़ी-बूटियों से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करने का अवसर प्रदान करती है। हिंदी और अंग्रेजी भाषा में काम कर रहा यह मोबाइल ऐप्लिकेशन बीमारियों, कीटों और पोषण संबंधी समस्याओं के लिए स्वचालित रूप से उत्पाद सिफारिशें देता है। इतना ही नहीं, यह ऐप किसानों को आसानी से बीज, फसल संरक्षण, फसल पोषण, श्रम, पानी आदि पर अपने खर्च का एक अतिरिक्त टैब रखने की सुविधा भी देता है।
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