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शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

8 साल का दूल्हा 61 साल की दुल्हन संग शादीशुदा जिंदगी का ले रहा आनंद

8 साल का दूल्हा 61 साल की दुल्हन

हेलेन शाबंगू और उसका पति सानेले मैसिलेला
तकरीबन 61 साल की अधेड़ महिला डायनिंग टेबल पर आठ साल के बच्चे के साथ नाश्ता कर रही हैं। पहली बार में देखने पर आपको लगेगा कि यह दादी और पोते हैं। लेकिन यह पति-पत्नी हैं।
शादी की रीतिरिवाज निभाते पति-पत्नी,  
दक्षिण अफ्रीका में आठ साल सानेले मैसिलेला एक स्कूली छात्र है और उसकी बीवी 61 की महिला हेलेन शाबंगू पांच बच्चों की मां है। खुद सानेले की मां अपनी 61 साल की बहू से 15 साल छोटी है। इस अनोखी जोड़ी ने बीते दस तारीख को शादी रचाई थी, जिसकी अंतरराष्ट्रीय मीडिया में काफी चर्चा हुई थी।
शादी के दौरान रीतिरिवाज निभाते पति-पत्नी,  
शादी करने का कारण सिर्फ इतना था कि लड़के के दादा मरने से पहले पोते की शादी और उसकी दुल्हन देखना चाहते थे। डेली मेल में शादी की नई तस्वीरें जारी की हैं, जिसमें दोनों पति-पत्नी अपने नए जीवन में काफी खुश दिखाई दे रहे हैं।
हेलेन के साथ जाता उसका आठ साल का पति
सालेने ने ही पारिवारिक मित्र और पांच बच्चों की मां का दुल्हन के रूप में चुनाव किया था। दहेज के रूप में लड़के के परिवारवालों ने दुल्हन को पांच सौ डॉलर की रकम दी थी। सानेले का कहना है कि शादी के बाद उसे शादीशुदा मर्द जैसा अहसास हो रहा है। उनकी शादी में एक हजार डॉलर खर्च किए गए थे।
खाना खाते पति-पत्नी
हालांकि इस शादी के बाद दूल्हे या दुल्हन ने मैरिज सर्टिफिकेट नहीं लिया था। छोटे दूल्हे के परिजनों का कहना है कि यह शादी केवल परंपरा के तौर पर की गई थी और इसका कोई कानूनी आधार नहीं है। मैसिलेला बड़ा होने पर वह एक बार और अपनी ही उम्र की किसी लड़की के साथ शादी करेगा।
अपने परिवार के साथ ख़ुशी मनाता आठ साल का सानेले
दुल्हन हेलेन कहती हैं कि उन्होंने इस शादी से अपने पूर्वजों को खुश किया था और अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता तो उनके परिवार के साथ कुछ न कुछ गलत हो जाता।
दोस्तो के साथ खेलता सानेले
रिसाइक्लिंग सेंटर में काम करने वाली हेलेन का कहना है कि उनके 65 वर्षीय पति और बच्चों को भी इस शादी से कोई आपत्ति नहीं है।
शादी के दौरान एक दूसरे का हाथ पकड़े पति-पत्नी,  
हेलेन अपने पति की दादी के साथ खाना खाती हुई...
साभार…Dainik Bhaskar

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

बाप-दादा के उम्र के आदमी से करा दी जाती है शादी


11 साल की 'गुलाम' अपने पति फैज (40)
के साथ अफगानिस्तान के दर्मादा गांव में।
यह तस्वीर 11 सितंबर 2005 को ली गई थी।
पूरी दुनिया में 1 करोड़ लड़कियों की शादी उनके बाप और दादा की उम्र के बराबर के शख्स से करा दी जाती है। छोटी उम्र में शादी और घरेलू हिंसा को पूरी दुनिया के लिए नासूर मानकर संयुक्त राष्ट्र ने 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल चाइल्ड गर्ल डे मनाने का फैसला किया। इसके साथ ही कम उम्र की लड़कियों की शादी को लेकर 50 विकासशील देशों में बहस छेड़ने की कोशिश भी की है।
यमन के हज्जाह में सामने की तरफ तहानी (08)
अपने शौहर माजेद (27) के साथपीछे तहानी के
क्लासमेट घदा (08) अपने पति के साथ
इस मौके पर नेशनल जिओग्राफिक के फोटो-जर्नलिस्ट स्टीफन सिंक्लेयर ने अपने कैमरे से भारत, यमन और इथोपिया के स्याह पक्ष को दिखाने की कोशिश की।
पूरी दुनिया में महिलाओं की स्थिति सबसे ज्यादा खराब एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व के देशों में है गुलाम को अपने हमसफ़र का साथ सिर्फ 11 साल कि उम्र में ही मिल गया। उसका शौहर जैज' 40 साल साल का है। 'गुलाम' का कुसूर इतना था कि वह अफगानिस्तान में पैदा हो गई। 40 साल के फैज से शादी करने वाली 11 वर्षीय गुलाम ने बताया कि पति के परिवार साथ खुश है। उसने भगवान से प्रार्थना की थी कि उनका यह बंधन कभी न टूटे। 
भारत के राजस्थान में 15 साल की
सरिता शादी के दौरान आंसू बहाती हुई
कई देशों में चाइल्ड मैरिज को लेकर कठोर कानून बनाए गए है। बावजूद इसके इस बुरी प्रथा पर रोक नहीं लग पा रही है। अंतरराष्ट्रीय संस्था के शोध के अनुसार, पूरी दुनिया में 18 साल के कम उम्र की लगभग 5 करोड़ लड़कियां शादी-शुदा होती हैं। वहीं अफगानिस्तान में 57 फीसदी लड़कियों की 16 साल की उम्र (शादी की वैध उम्र) से पहले ही शादी कर दी जाती है।
भारत जैसे देश में अपने से बड़ी उम्र के आदमी से लड़की को ब्याह देने को बुरा नहीं माना जाता है।
नेपाल के कागती गांव में
सुमीना श्रेष्टा बालमी(15) अपने पति
प्रकाश बालमी (16) से ब्याह दी जा रही है
कई मामलों में तो पति की उम्र और पत्नी की उम्र में कई दशकों का अंतर होता है। वहीं किसी भी लड़की के अपहरण और दुष्कर्म करने के बाद ऐसा भी होता है कि वह आदमी उसका पति भी बन जाए। भारत के यह प्रथा हजारों सालों से चली आ रही है।
15 साल की पत्नी जमीला की हत्या के प्रयास में गिरफ्तार किया गया उसका पति जनान (35)। जमीला का कसूर इतना था कि वह अपनी पति की घरेलू हिंसा से तंग आकर अपनी मां के पास रहने चली गई थी।


यमन में एक पंक्ति में बैठी हुई शादी के लिए तैयार छोटी बच्चियां



अफगानिस्तान में सगाई के मौके पर 55 साल के सैद के साथ 8 वर्षीय रोशन 

यमन के हज्जाह में 14 वर्षीय मां अपने नवजात को साफ करती हुई
वहीं उसके पास ही दो साल का बच्चा खेलता हुआ



खून से लथपथ 
जमीला का पति जनान 





102 साल की उम्र में भी जवां सेक्स लाइफ


दुनिया का सबसे वृद्ध पिता रामजीत

हरियाणा के सोनीपत जिले में 102 वर्ष की उम्र में एक वृद्ध पिता बना है। रामजीत नामक वृद्ध की 52 वर्षीय पत्नी शकुंतला ने हाल ही में अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया है। डिलीवरी खरखौदा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई। नवजात बच्चे का नाम रणजीत सिंह रखा गया है।

दो साल पहले रामजीत के पहले बेटे विक्रमजीत का जन्म हुआ है। रामजीत ने हरियाणा सरकार की वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत कार्ड भी बनवा रखा है। 12 साल पहले बने इस कार्ड में रामजीत की उम्र 90 साल लिखी गई है। पेंशन के रूप में उन्हें हर माह सरकार से साढ़े सात सौ रुपए मिलते हैं।
रामजीत ने जनवरी 2011 में दुनिया के सबसे ओल्डेस्ट फादर होने के बाद यह घोषणा की थी कि अब वह एक रात में दो से तीन बार सेक्स करने के अपने शौक पर संयम रखने को कोशिश करेंगे क्योंकि वे अपने बेटे विक्रमजीत की परवरिश पर ध्यान देना चाहते हैं। उस समय रामजीत ने इंटरनेशनल वेबसाइट 'द सन' से बात करते हुए यह भी कहा था कि एक बच्चा ही अच्छा होता है लेकिन बाद में रामजीत ने अपना प्लान बदल दिया।
 कुछ दिनों बाद रामजीत को लगा कि दूसरा बच्चा भी होना चाहिए और इस बारे में उन्होंने मीडिया से भी कहा। अब वह दूसरे बच्चे को जन्म देने में सफल हो गए हैं। रामजीत दूसरे बेटे को पाकर बहुत खुश हैं।रामजीत का कहना है कि वह बेहद स्वस्थ महसूस करते हैं और वाइफ के साथ सेक्स लाइफ को एंज्वाइ करते हैं। वह हसबैंड और वाइफ के बीच रेगुलर सेक्स को मैरिज लाइफ के लिए बहुत जरूरी मानते हैं।
रामजीत हरियाणा के सोनीपत में अपनी झोपड़ी में बीवी-बच्चों के साथ रह रहे हैं और खेतों में काम करके गुजारा चलाते हैं।रामजीत की बीवी शकुंतला कहती हैं कि वह मुझे बिल्कुल भी बूढ़े नहीं लगते। वह 25 साल के मर्द की तरह मुझसे प्यार कर सकते हैं और सारी रात जारी रह सकते हैं। वह बेहतरीन पिता हैं।
रामजीत का कहना है कि उनको ज्यादा काम करना अच्छा नहीं लगता। लेकिन चूंकि उनके बच्चे हैं इसलिए उनकी परवरिश के लिए खेतों में जाकर काम करना पड़ता हैं।रामजीत का कहना है कि वे सुबह में छह बजे उठते हैं और रोज लगभग नौ-दस घंटे काम करते हैं। वह एक सप्ताह में लगभग हजार रुपए कमा लेते हैं। वह अपनी बीवी के साथ खुशी-खुशी जीवन गुजार रहे हैं। बच्चों के साथ वह बहुत खेलते हैं।
पहला बच्चा होने के बाद उन्होंने 'द सन' को दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि उनको जब भी सेक्स की ईच्छा होती है, वह करते हैं। मौका मिलने पर दिन में भी सेक्स करते हैं। रामजीत का कहना है कि वह अपनी कमाई का कुछ हिस्सा सेक्स पावर बढ़ाने वाले कैप्सूल पर खर्च करते हैं। वियाग्रा खाने के बाद वह रात भर के लिए तैयार हो जाते हैं।
जहां वह काम करते हैं वहां अपनी बीवी-बच्चे को ले जाते हैं। वह रसोई बनाने जैसे घरेलू और अन्य कामों में अपनी बीवी की मदद करते हैं।  अपने बच्चों की परवरिश में भी वह बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं। अगर बच्चा रोता है तो वह गोद में उसे लेकर खेलाते हैं। उसको खाना खिलाते हैं। कपड़े पहनाते हैं।
रामजीत का कहना है कि बच्चा जब रोता है तो उनको पीड़ा होती है। वे अपनी जवानी में बहुत यकीन करते हैं। तीन किलो दूध के साथ आधा किलो मक्खन रोज खाते हैं। रामजीत जवानी में कुश्ती लड़ते थे और उनको यह भरोसा है कि बच्चे को जवान होते वह देख सकेंगे और मौत उनको छू नहीं सकती। इंटरनेशनल वेबसाइट डेली मेल से उन्होंने एक अजीब बात यह कही थी कि उनको कोई काला सांप काट ले तभी वह मरेंगे।

 फोटो में रामजीत


साभार 

गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

लिंग में भी हो सकता है फ्रैक्‍चर?


हाथ को कोहनी से उलटा खींचने से टूट सकता है, पैर मुड़ जाने से मोच आ सकती है, ऊंचा तकिया लगा लेने से गर्दन में लचक आ सकती है, ये सभी बातें आप जानते हैं इसलिये आप संभालकर काम करते हैं। लेकिन क्‍या आपने ऐसी कोई भी आशंका अपने लिंग के लिये व्‍यक्‍त की है? या फिर आपके मन में आयी है? शायद नहीं, क्‍योंकि हम सोचते हैं कि हमारा लिंग बहुत मजबूत और सुरक्षित है। लिंग की बात आती है तो ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग सिर्फ साफ-सफाई पर ध्‍यान देते हैं। नहाते वक्‍त लिंग को अच्‍छी तरह साफ करना बचपन से सिखाया जाता है, लेकि बाकी की बातें ध्‍यान में नहीं रहतीं। हम आपको लिंग के बारे में वो पांच बातें बताने जा रहे हैं, जिनसे हो सकता है आप अनजान हों। इन पांच बातों का ध्‍यान आप कभी रखें न रखें, लेकिन संभोग के वक्‍त जरूर रखें, नहीं तो आप आगे चलकर मुसीबत में पड़ सकते हैं। और हां शरीर के तमाम अंगों के बारे में हम बहुत कुछ जानते हैं, लेकिन लिंग के बारे में कई बातें हैं जो शायद कम ही लोग जानते हैं। हालांकि इसके पीछे कारण झिझक है। आम तौर पर लोग झिझक में ये सब बातें नहीं बताते।
लिंग से जुड़े कुछ अहम तथ्‍य
  • हो सकता है फ्रैक्‍चर

लिंग में कोई हड्डी नहीं होती। इसमें एक ऐसी मांसपेशियां होती हैं, जो आलिंगन के वक्‍त काफी सख्‍त हो जाती हैं और सामान्‍य रूप पर बहुत मुलायम रहती हैं। ऐसी मांसपेशियां शरीर के किसी भी अन्‍य अंग में नहीं होतीं। हम आपको बता दें कि संभोग के दौरान जोर-जबर्दस्‍ती करने से या बेतरतीब हस्‍त-मैथुन करने से लिंग में फ्रैक्‍चर हो सकता है। ऐसा होने पर आप नपुंसक हो सकते हैं।
  • ठंडा पानी लिंग का दुश्‍मन

नहाते वक्‍त या कभी भी जरूरत से ज्‍यादा ठंडा पानी सीधे लिंग पन मत डालें, इससे आपके लिंग के नीचे का भाग अचानक ठंडा पड़ सकता है और ऐसा होने पर वीर्य बनना बंद हो जाता है, इससे आप नपुंसकता के शिकार हो सकते हैं।
  • लिंग का खुद का दिमाग

यह बात शायद ही किसी को पता होगी। हमारे दिमाग का एक भाग एकदम अलग है, जो सीधे हमारे लिंग से जुड़ा हुआ है। लिंग हमारे नर्वस‍ सिस्‍टम के माध्‍यम से यहीं से कंट्रोल होता है। यानी जब व्‍यक्ति उत्‍तेजक होता है, तो दिमाग का वही भाग उसे नियंत्रित करता है।
  • लिंग में कड़ापन न आना यानी बीमार हैं

आप आम तौर पर लिंग में कड़ापन तब नहीं आता है, जब आपका संभोग या आलिंगन का मूड नहीं होता है, लेकिन अगर ऐसा रोज-रोज हो, तो यह गंभीर बात है। इसे इरेक्‍टाइल डाइसफंशन कहते हैं। ऐसा होना बीमारी के संकेत भी देता है। यदि आप हृदय रोगी हैं, हाईपरटेंशन के शिकार हैं, मधुमेह, आदि की शुरुआत है, तब भी आपके लिंग में कड़ापन आना बंद हो जाता है।
  • मुड़ा हुआ लिंग आम बात नहीं

यदि आपका लिंग केले की तरह मुड़ा हुआ है, तो इसे हलके में मत लें। यह बीमारी के संकेत हैं। इससे आपको संभोग करने में परेशानी होती है। इस बीमारी का नाम पेयरोनी है।

बुधवार, 10 अप्रैल 2013

हैवान बाप के जिश्म की आग में जली बेटी


सऊदी अरब में एक बाप द्घारा अपनी 5 साल की बेटी का कई बार रेप करने और उसे जलाने का मामला सामने आया हैं। करीब 10 महीने से अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझती लामा-अल-घामदी के शरीर पर कई घाव थे। परंतु अपनी बेटी पर अत्याचार करने वाले सऊदी इमाम को बस हर्जाना भरने के बाद रिहा कर दिया गया। इस बच्ची की पिछले साल अक्तूबर में मौत हो गई थी।
डॉक्टर्स का कहना है कि वह कई बार रेप और जलाए जाने की भी शिकार हुई थी। उसकी पीठ, पसलियां और दायां हाथ टूटा हुआ था। पीड़ित बच्ची का पिता फयहान अल घामदी
एक प्रसिद्ध इमाम और सऊदी अरब में टीवी पर धार्मिक कार्यक्रम करता है। तीन महीने जेल में गुजारने के बाद उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया और बाद में उसे 50 हजार डॉलर हर्जाना देने के बाद रिहा कर दिया गया। इस घटना से आहत महिला संगठन ने इमाम का मेडिकल टेस्ट कराने की मांग की है। उनका कहना है कि बच्ची उसने बच्ची के कौमार्य को हानि पहुंचाई है।
सामाजिक कार्यकर्त्ता रांडा-अल-कलीब का कहना है कि फयहान को इसके लिए मौत या उम्रकैद की सजा होनी चाहिए थी। परंतु इस्लामी कानूनी में बच्चों और पत्नी की हत्या करने पर भी पिता या पति को मौत की सजा नहीं मिलती। हालांकि इमाम द्वारा दी गई हर्जाने की राशि बच्ची की मां को दे दी जाएगी।

सोमवार, 1 अप्रैल 2013

अंडरगार्मेंट सेक्स की कोशिश करने वाले को सिखाएगा सबक

प्रतीक चित्र
गर्म गोश्त के शौकिनों के लिए बुरी खबर...चेन्नै में 3 महिला इंजीनियरों ने एक ऐसे अंडरगार्मेंट के बारे में बताया है, जो सेक्स की कोशिश करने वाले को न केवल सबक सिखाएगा, बल्कि लड़की के मम्मी-पापा को इस बारे अलर्ट भी कर देगा।

चेन्नै में तीन ऑटोमोबाइल इंजीनियरों ने एक्स मॉडलस लगा एक ऐसा अंडरगार्मेंट बनाने में सफलता हासिल की है, जो न केवल देशभर में हो रहे यौन अपराधों पर नकेल कसेगा बल्कि, अंडरगार्मेंट पहनने वाली के मां-बाप को अलर्ट भी करेगा।

सोसायटी हारनेसिंग इक्विपमेंट ने इसे बनाया है। इसे निर्मित करने वाली टीम की एक मेंबर मनीषा मोहन ने मीडिया को बताया कि अंडरगार्मेंट में ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन ,ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम और दबाव संवेदक (सेंसर) लगे हैं। यह 3,800 केवी के झटके देने और लड़की के माता-पिता और पुलिस को अलर्ट भेजने में सक्षम है। यह झटके 82 बार मशीन देगी।

रामास्वामी मेमोरियल यूनिवर्सिटी की इंजिनियरिंग की छात्रा मनीषा ने अपने दो सहकर्मियों रिंपी त्रिपाठी और नीलादी बसु पॉल के साथ मिलकर यह अंडरगार्मेंट तैयार किया है।

अंडरगार्मेंट के फंक्शन बारे जानकारी देते हुए मनीषा ने बताया कि इसमें लगे सेंसर के जरिए लड़की का उत्पीडऩ की कोशिश करने वाले व्यक्ति को जबरदस्त झटका लगेगा, जबकि जीपीएस और जीएसएम से इमर्जेंसी नंबर 100 और लड़की के माता-पिता को एसएमएस चला जाएगा।

शुक्रवार, 29 मार्च 2013

मां-बाप के सामने बेटी करती है सेक्स


दुनियाभर में अफीम की खेती के लिए पहचाना जाने वाला मंदसौर और नीमच जिला देह व्यापार के कारण चर्चाओं में हैं। चर्चाओं का बाजार आम पब्लिक से लेकर विधानसभा तक में गर्म है। मध्यप्रदेश विधानसभा में जब भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने खुलासा किया कि मंदसौर में देह व्यापार के करीब 250 डेरे चल रहे हैं, तो वहां मौजूदा विधायक और अन्य लोग अवाक रह गए। हालांकि यहां दशकों से देह व्यापार चल रहा है, लेकिन पिछले कुछेक सालों में जिस्म की मंडियां और गर्म हुई हैं। खासकर अब देह व्यापार में अब छोटी-छोटी बच्चियों को भी ढकेला जा रहा है।चिंताजनक बात यह है कि देह व्यापार के चलते इस जिले में घातक रोग एड्स भी तेजी से अपना दायरा बढ़ा रहा है। एमएलए यशपाल सिंह सिसौदिया के मुताबिक, जिले में 1223 व्यक्ति एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। करीब ६५६ एड्स की गंभीर चपेट में हैं, जबकि 48 लोग मौत का शिकार बन गए। दरअसल, यहां निवासरत बांछड़ा समुदाय जिस्म बेचकर पेट पालने में कोई संकोच नहीं करता। मां-बाप स्वयं अपनी बेटियो को इस धंधे में उतारते हैं। मंदसौर में करीब ४० गांवों में फैला बांछड़ समुदाय देह व्यापार में लिप्त है।
बांछड़ा समुदाय के परिवार मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के रतलाम, मंदसौर व नीमच जिले में रहते हैं। इन तीनों जिलों में कुल ६८ गांवों में बांछड़ा समुदाय के डेरे बसे हुए हैं।  मंदसौर शहर क्षेत्र सीमा में भी इस समुदाय का डेरा है। तीनों जिले राजस्थान की सीमा से लगे हुए हैं। रतलाम जिले में रतलाम, जावरा, आलोट, सैलाना, पिपलौदा व बाजना तहसील हैं। मंदसौर जिले में मंदसौर, मल्हारगढ़, गरोठ, सीतामऊ, पलपुरा, सुवासरा तथा नीमच में नीचम, मनासा व जावद तहसील है। मंदसौर व नीमच जिला अफीम उत्पादन के लिए जहां दुनियाभर में प्रसिद्ध है, वही इस काले सोने की तस्करी के कारण बदनाम भी है। इन तीनों जिलों की पहचान संयुक्त रूप से बांछड़ा समुदाय के परंपरागत देह व्यापार के कारण भी होती है ।  150 पहले अंग्रेज लाए थे हवस मिटाने और अब बांछड़ा समुदाय में यह पेट भरने का मुख्य जरिया बन गया है, जानिए हैरान कर देने वाली कहानी....
बांछड़ा समुदाय की उत्पत्ति कहां से हुई, यह कुछ साफ नहीं है। जहां समुदाय के लोग खुद को राजपूत बताते हैं, जो राजवंश के इतने वफादार से थे कि इन्होंने दुश्मनों के राज जानने अपनी महिलाओं को गुप्तचर बनाकर वेश्या के रूप में भेजने में संकोच नहीं किया।
 वहीं कुछ लोगों का तर्क है कि करीब 150 साल पहले अंग्रेज इन्हें नीमच में तैनात अपने सिपाहियों की वासनापूर्ति के लिए राजस्थान से लाए थे। इसके बाद ये नीमच के अलावा रतलाम और मंदसौर में भी फैलते गए।
हालांकि ऐसा नहीं है कि सरकार ने इस जाति को देह व्यापार से निकालने कोई जतन नहीं किया हो, लेकिन इस समुदाय के लोग पेट भरने के लिए दूसरे कामों के बजाय जिस्म बेचना अधिक सरल मानते हैं। बांछड़ा और उनकी तरह ही देह व्यापार करने वाली प्रदेश के 16 जिलों में फैली बेडिय़ा, कंजर तथा सांसी जाति की महिलाओं को वेश्यावृत्ति से दूर करने के लिए शासन ने 1992 में जाबालि योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत समुदाय के छोटे बच्चों को दूषित माहौल से दूर रखने के लिए छात्रावास का प्रस्ताव था। इस योजना को दो दशक बीत चुके हैं, लेकिन जिस्म की मंडियां अब भी सज रही हैं। इस समुदाय को जिस्म फरोशी के धंधे से बाहर निकालने कई बड़े एनजीओ जैसे एक्शन एड आदि भी लगातार सक्रिय हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि आगे स्थिति सुधरेगी। मंदसौर जिले के बासगोन, ओसारा, संघारा, बाबुल्दा, नावली, कचनारा, बोरखेड़ी, शक्करखेड़ी, बरखेड़ापंथ, बिल्लौद, खखरियाखेड़ी, खेचड़ी, सूंठोद, चंगेरी, मुण्डली, डोडियामीणा, खूंटी, रासीतलाई, काल्याखेड़ी, पाडल्यामारू, आधारी उर्फ निरधारी, बानीखेड़ी, लिम्बारखेड़ी, रूणवली, कोलवा, निरधारी, लखमाखेड़ी, मोरखेड़ा, उदपुरा, डिमांवमाली, रणमाखेड़ी, पानपुर, आक्याउमाहेड़ा, मंदसौर शहर और बांसाखेड़ गांवों में बांछड़ा समुदाय बहुलता में रहता है।
बांछड़ा समुदाय ग्रुप में रहता है, जिन्हें डेरा कहते हैं। बांछड़ा समुदाय के अधिकतर लोग झोपड़ीनुमा कच्चे मकानों में रहते हैं। बांछड़ा समुदाय की बस्ती को सामान्य बोलचाल की भाषा में डेरा कहते हैं। इनके बारे में यह भी कहा जाता है कि मेवाड़ की गद्दी से उतारे गए राजा राजस्थान के जंगलों में छिपकर अपने विभिन्न ठिकानों से मुगलों से लोहो लेते रहे थे। माना जाता है कि उनके कुछ सिपाही नरसिंहगढ़ में छिप गए और फिर वहां से मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के काडिय़ा चले गए। जब सेना बिखर गई तो उन लोगों के पास रोजी-रोटी चलाने का कोई जरिया नहीं बचा, गुजारे के लिए पुरूष राजमार्ग पर डकैती डालने लगे तो महिलाओं ने वेश्वावृति को पेशा बना लिया, ऐसा कई पीढिय़ां तक चलता रहा और अंतत: यह परंपरा बन गई।
इस समुदाय पर रिसर्च करने वाले मानते हैं कि बांछड़ा, बेडिय़ा, सांसी, कंजर जाति वृहद कंजर समूह के अंतर्गत ही आती हैं। सालों पहले वे जातियां वृहद कंजर समूह से पृथक हो गईं। इसके पीछे भी विभिन्न कारण रहे होंगे। धीरे-धीरे इनकी सामाजिक मान्यताओं में भी बदलाव आ गया। इन जातियों में वेश्वावृत्ति की शुरूआत के पीछे इनकी अपराधिक पृष्ठभूमि ही महत्वपूर्ण कारण रही होगी। पुरुष वर्ग जेल में रहता था या पुलिस से बचने के लिए इधर-उधर भटकता रहा हो सकता है कि महिलाओं ने अपने को सुरक्षित रखने के लिए तथा अपनी आजीविका चलाने के लिए वेश्वावृत्ति को अपना लिया हो। दूसरे अन्य कारण भी रहे होंगे। धीरे-धीरे इन जातियों में वेश्यावृति ने संस्थागत रूप धारण कर लिया। प्राचीन भारत के इतिहास में इन जातियों का उल्लेख नहीं मिलता है। 
रतलाम में मंदसौर, नीमच की ओर जाने वाले महु-नीमच राष्ट्रीय मार्ग पर जावरा से करीब 7 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम-बगाखेड़ा से बांछड़ा समुदाय के डेरों की शुरुआत होती है। यहां से करीब 5 किलोमीटर दूर हाई-वे पर ही परवलिया डेरा स्थित है। इस डेरे में बांछड़ा समुदाय के 47 परिवार रहते हैं। महू-नीमच राष्ट्रीय राजमार्ग पर डेरों की यह स्थिति नीमच जिले के नयागांव तक है। रतलाम जिले के दूरस्थ गांव में भी इनके डेरे आबाद हैं।
बांछड़ा समुदाय के लोग कभी गुर्जरों के समक्ष नाच-गाना करते थे। ये कभी स्थायी ठीये बनाकर नहीं रहे। यानी बांछड़ा समुदाय के लोग किसी जमाने में खानाबदोश जीवन व्यतीत करते थे। एक गांव से दूसरे गांव भ्रमण कर अपना गुजर बसर करते थे। यह सब अब इतिहास का हिस्सा बनकर रह गया।
देश में एड्स की रोकथान के लिए सरकार और स्वयंसेवी संस्थाएं प्रतिवर्ष करीब 100 करोड़ रूपए खर्च करती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक इतनी राशि खर्च होने के बावजूद भारत में एचआईवी संक्रमित लोगों की तादाद 40 लाख के ऊपर जा पहुंच चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि कई लोगों के लिए यह बीमारी एक उद्योग है। मध्यप्रदेश में बांछड़ा समुदाय के देह व्यापार से उत्पन्न एड्स की चुनौती से निपटने के लिए सरकारी प्रयास किए गए, जो अभी भी जारी हैं।
बाँछड़ा समुदाय में व्याप्त परंपरागत देह व्यापार का मुद्दा मध्यप्रदेश विधानसभा में पहले भी गूंज चुका है। इस रूढि़वादी परंपरा को रोकने के लिए विधानसभा सर्वसमति से प्रस्ताव भी पारित कर चुकी है। 23 फरवरी 1983 को राज्य की विधानसभा में इस मुद्दे को लेकर लंबी बहस हुई थी। दरअसल बाबूलाल गौर ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया था कि रतलाम और मंदसौर के राजस्थान से लगे हिस्सों में बांछड़ा जाति की लगभग 200 बस्तियों में उक्त समाज की ज्येष्ट पुत्री को उक्त समुदाय की रीति रस्म और परंपरा के अनुसार वेश्वावृत्ति का शर्मनाक व्यापार अपनाना पड़ रहा है। इस प्रथा को रोकने सरकार पहल करे।
बांछड़ा समुदाय में प्रथा के अनुसार घर में जन्म लेने वाली पहली बेटी को जिस्म फरोशी करनी ही पड़ती है। रतलाम नीमच और मंदसौर से गुजरने वाले हाईवे पर बांछड़ा समुदाय की लड़कियां खुलेआम देह व्यापार करती हैं। वे राहगीरों को बेहिचक अपनी ओर बुलाती हैं।
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