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बुधवार, 13 मार्च 2013

कानूनी रोकथाम के बावजूद

क्या वेश्यायें पेड़ से टपकती है?


वेश्यावृत्ति मानव समाज को वह कोढ़ है जो युगो-युगों से इस समाज के अन्दर ही मौजूद है, शायद इसी कारण से इसे दुनिया का सबसे पुराना ध्ंध कहा जाता है। प्रदेश एवं देश के अनेक हिस्सों में होने वाली वेश्यावृत्ति ;देह व्यापारद्ध को गैर कानूनी घोषित किया गया है, पिफर भी तमाम शहरों और मेट्रोसिटी में वेश्याओं का मुहल्ला ;रेड लाइट एरियाद्ध आबाद है। कोलकाता का सोनागाछी हो या दिल्ली का जीबी रोड या पिफर मुम्बई का कमाठीपुरा, पफाकलैण्ड रोड या मुजफ्ररपुर का चतुर्भुज इलाका, इलाहाबाद का मीरगंज, मेरठ का कबाड़ी बाजार, आगरा का कश्मीरी बाजार, वाराणसी का शिवदासपुर आदि एरिया में वेश्याओं के कई कोठे आबाद है। 

देह व्यापार से जुड़ी औरतांे की संख्या में जिस तेजी से इजापफा हो रहा है उसे देखते हुए तो यही कहना पड़ेगा कि समाजहित में बनाये गये अनेकों अव्यवहारिक कानून की तरह देह व्यापार की रोकथाम के लिए बनाये गये कानून भी बेअसर साबित हो रहा है। तर्क शास्त्राी और वैज्ञानिक सि(ान्तों के अनुसार हम तब तक किसी समस्या का हल या सामाधन नहीं पा सकते जब तक हमें उस समस्या के पैदा होने का मूल कारण न मालूम हो, वेश्यावृत्ति का कारण ढूढ़े तो हमारे सामने एक से एक चैंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आयेंगे जिसे देखने से हमारे समाज के आदर्शवादिता सम्बन्ध्ी समस्त सि(ान्त एक मजाक बनते दिखाई देंगे।

पच्चीस साल पहले तक देह ध्न्ध्ें से जुड़ी औरतों के लिए एक ही खास शब्द इस्तेमाल किया जाता था वह था, वेश्या। लेकिन वर्ष 1990 के बाद वेश्या शब्द कापफी व्यापक रूप धरण कर लिया और मूल शब्द तो लुप्त प्रायः हो गया। पिफर तो समाज में एक अलग ही ट्रेड चल गया। वेश्या शब्द एक प्रकार से अछूत और घृणा का शब्द बनकर रह गया, सच कहें तो अब इसे गाली माना जाने लगा। उसके स्थान पर सेक्सवर्कर, कालगर्ल, यौनकर्मी, लाइपफ पार्टनर, रंगीन तितली, रात की रानियां जैसे तमाम आध्ुनिक शब्दों को गढ़ लिया गया। इन शब्दों की अपनी विशेषता और कीमत है। जिसने जिस शब्द के आवरण को ओढ़ा, उसकी कीमत भी उसी अनुसार तय हुआ करती है। मतलब और मकसद दोनों पक्षों का एक ही होता है। अध्कि से अध्कि पैसा कमाना जहाॅ देह प्रस्तुत करने वालियों का उद्देश्य होता है, वहीं देह को भोगने वाले ;जिस्मखोरोंद्ध का उद्देश्य खर्च किये गये पैसे के अनुपात में अध्कि से अध्कि सुख भोगना।

भारत द्वारा वेश्याओं के अन्तराष्ट्रीय व्यापार पर प्रतिबन्ध् लगाने के लिए सख्त कदम उठाने के बावजूद देह व्यापार के लिए औरतों ;मानव तस्करीद्ध के ध्न्ध्ें में कमी नहीं आयी है। नेशनल रिकार्ड ब्यूरों के अनुसार पिछले दिनों 18 वर्ष से कम उम्र लड़कियों की खरीद में तेजी आई है और प्रत्येक वर्ष 6 से 10 हजार नेपाली लड़कियों को चोरी छिपे नेपाल से भारत लाकर वेश्यावृत्ति के पेशे में झोंक दिया गया। अब वर्तमान में इनकी संख्या प्रतिवर्ष 10 हजार पार कर गयी है। सिचएशन रिपोर्ट इण्डिया के मुताबिक भारत में वेश्यावृत्ति में संलग्न नेपाली बालाओं की संख्या 50 प्रतिशत से अध्कि है। वूमेन चाइल्ड एण्ड विभाग के अनुसार भारत में वेश्यावृत्ति के ध्न्ध्ें में लगी कुल औरतों में 30 प्रतिशत की उम्र 18 वर्ष से भी कम है।

राष्ट्रीय महिला आयोग एवं यूनिसेपफ द्वारा 5 वर्ष पूर्व वेश्यावृत्ति पर कराये गये देशव्यापी सर्वेक्षण के अनुसार यह तथ्य सामने आया है कि अबोध्, कमसिन, नाबालिग बच्चियों को देह के ध्न्ध्ें में झोंकने का इतिहास अपने देश में दो दशक पुराना है। इन 20 सालों में अवयस्क बच्चियों को बड़ी ही तेजी से इस ध्न्ध्ें में उतारा जा रहा है। आयोग ने बाल वेश्यावृत्ति बढ़ने के तमाम कारणों में एक कारण कानून व न्यायपालिका का लचर व कमजोर होना बताया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी आॅकाड़ों से पता चलता है कि भारत दुनिया भर से देह व्यापार का अहम ठिकाना बन रहा है। एक अनुमान के मुताबिक हर वर्ष 20 से 25 हजार नई लड़कियांे को देह व्यापार के ध्न्ध्े में उतार दिया जाता है।

देश में देह व्यापार में संलग्न कुल कितनी महिला, औरतें हैं इसका आंकड़ा ठीक-ठीक तो उपलब्ध् नहीं है पिफर भी लोगों का अनुमान है कि इनकी वर्तमान संख्या लगभग 1 करोड़ है। इस संख्या में ऐसी सभी लड़कियां, औरतंे और पुरूष वेश्या भी शामिल है जो किसी न किसी प्रकार अपने शरीर को माध्यम बनाकर पैसा कमाते हैं। इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की माने तो इस ध्न्ध्ें का सालाना कारोबार 2500 करोड़ के ऊपर हैं।

देश के चार महानगरों पर नजर डाले तो मुम्बई और कोलकाता के अलग-अलग महानगर में लगभग डेढ़ लाख वेश्यायें है। दिल्ली एवं चेन्नई शहरों में इनकी संख्या 60 हजार पार कर गयी है। उत्तर प्रदेश के आगरा एवं मेरठ में भी वेश्याओं की अच्छी खासी आबादी मौजूद है। राजस्थान के धैलपुर, अलवर जिला देह व्यापार की बड़ी मण्डी के रूप में बदनाम है। राजधनी जयपुर में 40 हजार के लगभग वेश्यायें है। सवाल उठता है कि जब भारत में देह व्यापार रोकने के लिए कठोर कानून बने है तो पिफर इस ध्न्ध्ें में संलग्न यौन कर्मियों की संख्या तेजी से कैसे बढ़ रही है? क्या वेश्यायें पेड़ से टपकती है?

भारत के संविधन में प्रत्येक नागरिक को समान अध्किार प्राप्त है तथा उनके साथ किसी भी प्रकार के भेदभाव करने से मना किया गया है। खासकर महिलाओं के विरू( किसी भी प्रकार का भेदभाव न किया जाय इसके लिए संवैधनिक अध्किारों के अलावा समय-समय पर महिलाओं के हित के लिए कई कानून बने है, जैसे- भू्रण हत्या रोकने के लिए पी0सी0पी0एन0डी0टी0 अध्निियम, दहेज निषेध् अध्निियम, जुलाई 1999 में बना डायन प्रथा प्रतिषेध् अध्निियम, बाल विवाह निवारण अध्निियम 1929, के अलवा वेश्यावृत्ति रोकने केे लिए बना अनैतिक देह व्यापार निवारण अध्निियम 1956 के अन्तर्गत ऐसी कई धरायें हैं जिससे इस देह के ध्न्ध्ें पर लगाम लगाई जा सकती है।

भारतीय दण्ड विधन की कई धरायें ऐसी है जो महिलाओं के लिए खास है। जिसमें धरा 498;औरतों को प्रताडि़त करने पर सजा दिलानेद्ध, धरा 125 ;महिला को भरण-पोषण दिलानेद्ध, धरा 375 ;बलात्कार के लिए सजाद्ध और वर्ष 2005 में बना घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अध्निियम, राष्ट्रीय विध्ेयक सेवा प्राध्किार अध्निियम ;महिलाओं को मुफ्रत कानूनी सहायता प्रदान करनाद्ध प्रमुख है।

इतने सारे कानूनी और संवैधनिक अध्किार प्राप्त होने के बावजूद आज समाज में औरतों की स्थिति क्या है यह किसी से छिपा नहीं है। सभी को पता है इन कानूनांे का कितनी कड़ाई के साथ पालन होता है। यही कारण है कि औरतों से जुड़ा प्रत्येक मामला चाहे वह भ्रूण हत्या का हो, दहेज हत्या हो, बलात्कार या पिफर यौन शोषण का मामला हो, उत्पीड़न हो या पिफर औरतों के खरीद पफरोख्त का मामला, सभी का ग्रापफ बड़ी तेजी से बढ़े है। केवल कानून बना देने मात्रा से ही समाधन होने वाला नही हैं। हमें अपनी सोच और काम करने के तरीकों में बदलाव लाना होगा। खासतौर से तेजी से बढ़ रहे देह व्यापार को लेकर. इस दिशा में औरतों विशेष रूप से टीनेजर्स और कालेज गर्ल जो आध्ुनिक ग्लैमर युक्त पफैशन की चकाचैंध् में पफंसकर अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए शार्टकट रास्ता अपनाती है और अपनी देह द्वारा कमाई करने लगती है।

हाल के कुछ वर्षो में बड़ी संख्या में मध्यम और सम्भ्रान्त घरों की महत्वाकांक्षी जवान लड़कियां कालगर्ल का पेशा अपनाकर अपने मंहगे और आलिशान शौक को पूरा कर रही है। इन्हें कोई जोर जबर्दस्ती से इस पेशे में नहीं लाता, ये स्वयं बेहतर जीवन जीने के लिए खुद ही इस ध्न्ध्े में आ जाती है। कहीं भी 4-5 हजार की नौकरी करने से इनके शौक पूरे नही हो सकते। लेकिन इस रास्ते से वह अपने पूरे शौक बड़ी आसानी से पूरी कर लेती है। देह ध्न्ध्े से जुड़ी मीरजापुर की एक इंग्लिश आनर्स छात्रा का तो यहाॅ तक कहना है कि कुछ लोग पैसा कमाने के लिए जहाॅ अपनी बु(ि का इस्तेमाल करते है, मैं अपनी देह का इस्तेमाल करती हूॅ तो इसमें गलत क्या है? जीवन में मौज मस्ती और शार्टकट से अध्कि पैसा कमाने की चाहत इसी ध्न्ध्े से पूरी की जा सकती है। इसलिए जरूरत है ऐसी सोच को बदलने की, साथ ही पैसा कमाने के लिए नैतिकता, मानवता और चरित्रा को दरकिनार करने की मानसिकता को त्यागना होगा, तभी निरन्तर पफैल रहा देह का यह ध्न्ध सही मायने में रोका जा सकता है।

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