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सोमवार, 29 अप्रैल 2019

ट्यूमर के निदान एवं उपचार के लिए रूस अपना स्वयं का अल्ट्रासाउंड सिस्टम बना रहा है

शवाबे होल्डिंग (रोस्टेक स्टेट कॉर्पोरेशन का अंश) और पीटर द ग्रेट सेंट पीटर्सबर्ग पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी नॉन-इनवेसिव ट्यूमर के उपचार के उद्देश्य से पहला रूसी उपकरण बनाने के लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इस नए हाई-इंटेसिटी फोकस्ड अल्ट्रासाउंड (एचआईएफयू) प्रणाली का उत्पादन नोवोसिबिस्र्क इंस्ट्रूमेंट-मेकिंग प्लांट में किया जाएगा और 2019 के अंत तक पहले प्रोटोटाइप बना लिये जायेंगे।

एचआईएफयू प्रणाली को केंद्रित उच्च तीव्रता वाले अल्ट्रासाउंड का उपयोग करके स्तन ग्रंथि में ट्यूमर के निदान और उपचार के लिए डिज़ाइन किया जाएगा। इस प्रणाली में हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों शामिल हैं। प्रणाली में एक पावर मॉड्यूल, एक मॉनिटर और नियंत्रण कक्ष के साथ एक मेडिकल स्टैंड, एक रोबोट मैनिपुलेटर यूनिट, निदान और उपचार दोनों के लिए एक संयुक्त अल्ट्रासोनिक पीजो इलेक्ट्रिक ट्रांसड्यूसर सहित अल्ट्रासाउंड यूनिट, और एक इम्मोबिलाइजर के साथ रोगी की सीट शामिल होगी।

रोस्टेक के कार्यकारी निदेशक ओलेग इवतुशेंको ने कहा कि “रोस्टेक द्वारा चिकित्सा उपकरणों के अपने दायरे का विस्तार जारी है। हम प्रमुख रूसी विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी में जीवन रक्षक हाई-टेक मेडिकल डिवाइस बना रहे हैं। कैंसर के इलाज के सबसे सुरक्षित तरीकों में से एक तरीका, नॉन-इनवेसिव उपचार है। समान किस्म के विदेशी उपकरणों की तुलना में हमारे एचआईएफयू सिस्टम में कई फायदे होंगे। यह अधिक कॉम्पैक्ट और उपयोग करने में आसान होगा। इसमें इलेक्ट्रॉनिक मार्गदर्शन और ट्यूमर पर अल्ट्रासाउंड प्रभाव की निरंतर निगरानी भी शामिल होगी।”

तकनीकी और डिजाइन विकास कार्य पहले ही पूरा हो चुका है; अब प्रोजेक्ट टीम सिस्टम एप्लिकेशन विधियों के साथ ही डॉक्यूमेंटेशन पर काम कर रही है। सिस्टम का पहला प्रोटोटाइप 2019 के अंत तक तैयार हो जायेगा, और पहले नैदानिक परीक्षण 2020 में किए जा सकते हैं। इसके बाद, प्रोजेक्ट को पंजीकरण प्रमाणपत्र मिल सकता है और वह बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर सकता है।

रोस्टेक के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और क्षेत्रीय नीति विभाग के महानिदेशक विक्टर कल्लोव ने कहा कि -कि हम भारत, चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई और लैटिन अमेरिकी देशों जैसे अत्यधिक आबादी वाले विकासशील देशों को अपने उच्च तकनीक वाले चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति करने को लेकर काफी संभावनाएं देख रहे हैं। मुझे विश्वास है कि प्रमुख रूसी विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई नई एचआईएफयू प्रणाली की पर्याप्त मांग कई विदेशी बाजारों में रहेगी

यह परियोजना शवाबे होलिं्डग की सहायक कंपनी, नोवोसिबिस्र्क इंस्ट्रूमेंट-मेकिंग प्लांट द्वारा वित्तपोषित है। प्लांट बाद में प्रॉडक्ट का बड़े पैमाने पर उत्पादन करेगा।

भविष्य में, इस परियोजना के आधार पर अनुरूप उपकरणों की एक पूरी नई लाइन बनाई जा सकती है। इनमें लिवर, प्रोस्टेट ग्रंथि और मस्तिष्क में ट्यूमर के उपचार के उपकरण शामिल हैं। शवाबे होलिं्डग स्टेट कॉर्पोरेशन रोस्टेक का हिस्सा है और रूस में ऑप्टिकल उद्योग के कई दर्जन प्रमुख संगठनों को एकजुट करता है। होलिं्डग के उद्यमों में राष्ट्रीय रक्षा, राज्य और सार्वजनिक सुरक्षा के हितों में और सिविल उद्योगों के लिए नई ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक और लेजर प्रौद्योगिकी के निर्माण का पूरा चक्र शामिल है। उनके उत्पादन स्थलों पर, रूसी संघ के सशस्त्र बलों के लिए अभिनव ऑप्टोइलेक्ट्रोनिक और लेजर सिस्टम, साथ ही साथ अर्थ एयरोस्पेस निगरानी और रिमोट सेंसिंग, ऑप्टिकल सामग्री, चिकित्सा उपकरण, वैज्ञानिक उपकरण और ऊर्जा बचत प्रकाश व्यवस्था विकसित की जाती हैं और क्रमिक रूप से उनका उत्पादन भी किया जाता है। बौद्धिक संपदा के पोर्टफोलियो में 1886 यूनिट्स हैं और उत्पादों की संख्या 6500 यूनिट्स से अधिक है। शवाबे के उत्पाद रूस के सभी क्षेत्रों में उपयोग में लाये जाते हैं और इन उत्पादों का दुनिया के 95 देशों में निर्यात किया जाता है। फिलहाल होलिं्डग के प्रतिनिधि कार्यालय चीन, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और बेलारूस में स्थित हैं।

स्टेट कॉर्पोरेशन रोस्टेक एक रूसी कॉरपोरेशन है जिसकी स्थापना 2007 में हाई-टेक सिविलियन और सैन्य उद्योग उत्पादों के विकास, उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। कॉरपोरेशन में 700 से अधिक संगठन शामिल हैं जो वर्तमान में सैन्य-औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाली ग्यारह होलिं्डग कंपनियों और नागरिक उद्योग में काम करने वाली चार होल्डिंग कंपनियों के साथ-साथ 80 से अधिक सीधे प्रबंधित संगठनों का हिस्सा हैं। रोस्टेक के पोर्टफोलियो में एव्तोवाज, कामाज, कंसर्न कलाश्निकोव, रूसी हेलिकॉप्टर्स, यूराल वैगनज़ावॉड, आदि प्रसिद्ध ब्रांड शामिल हैं। 2017 में रोस्टेक का समेकित राजस्व 1 ट्रिलियन 5 बिलियन रूबल तक पहुंच गया, जबकि समेकित शुद्ध आय और ईबीआईटीडीए क्रमशः 121 और 305 बिलियन रूबल की हो गई। रोस्टेक की रणनीति के अनुसार, कॉरपोरेशन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रूस को अत्यधिक प्रतिस्पर्धी वैश्विक बाजारों में तकनीकी लाभ हो। रोस्टेक के प्रमुख उद्देश्यों में नया तकनीकी-आर्थिक प्रतिमान स्थापित करना और रूसी अर्थव्यवस्था का डिजिटलाइजेशन करना है।

हंगामा म्यूलजिक के साथ अमेज़न ईको शो पर देखिये म्यूजिक वीडियोज़


भारत : हंगामा डिजिटल मीडिया के स्‍वामित्‍व वाला देश का प्रमुख म्‍यूजिक तथा म्‍यूजिक वीडियो स्‍ट्रीमिंग प्‍लेटफॉर्म, हंगामा म्‍यूजिक आज अमेज़न ईको शो पर म्‍यूजिक वीडियोज़ देने वाले पहले प्‍लेटफॉर्म्‍स में से एक बन गया है। अमेज़न ईको शो पर म्‍यूजिक वीडियोज़ की उपलब्‍धता के साथ अब यूजर्स अपने पसंदीदा गाने सुनने के अलावा उन्‍हें देख भी सकते हैं। उन्‍हें सिर्फ एलेक्‍सा को हंगामा म्‍यूजिक से म्‍यूजिक वीडियोज़ प्‍ले करने के लिए कहना होगा।

इस सर्विस के माध्‍यम से, यूजर्स म्‍यूजिक वीडियोज़ को एक्‍टर, म्‍यूजिशियन, जोनर या भाषा का नाम लेकर उसे स्‍ट्रीम कर सकते हैं। यूजर्स अमेज़न ईको शो में हंगामा म्‍यूजिक की म्‍यूजिक वीडियो लाइब्रेरी से गाने केवल वॉयस कमांड्स का प्रयोग करके सुन सकते हैं। जैसेकि ‘’एलेक्‍सा प्‍ले दिलबर म्‍यूजि़क वीडियो ऑन हंगमा’’, ‘’एलेक्‍सा प्‍ले पंजाबी म्‍यूजिक वीडियोज़ ऑन हंगामा’’ या सिर्फ एलेक्‍सा प्‍ले लेटेस्‍ट म्‍यूजिक वीडियोज़’’ और एलेक्‍सा प्‍ले पंजाबी म्‍यूजिक वीडियोज़ ऑन हंगामा’’ या सिर्फ एलेक्‍सा प्‍ले लेटेस्‍ट म्‍यूजिक वीडियोज़’’ और एलेक्‍सा प्‍ले म्‍यूजिक वीडियोज़ ऑफ टेलर स्विफ्ट‘’

इस साझीदारी के बारे में बताते हुए, सिद्धार्थ रॉय, सीओओ, हंगामा डिजिटल मीडिया ने कहा, ‘’भारत में वीडियो की ताकत को नकार पाना मुश्किल है। यहां तक कि म्‍यूजिक भी विजुअल अनुभव ज्‍यादा है, क्‍योंकि हमारा ज्‍यादातर म्‍यूजिक हमारी फिल्‍मों से आता है। इस देश में यूजर्स म्‍यूजिक सिर्फ सुनते नहीं हैं, बल्कि इसे देखते भी हैं। हंगामा म्‍यूजिक पहली ऐसी सर्विस है जोकि अमेज़न ईको शो के वीडियो कैटलॉग तक गहरी पहुंच रखता है। हंगामा म्‍यूजिक यूजर्स को म्‍यूजिक वीडियोज़ की बहु-भाषी और मल्‍टी- जोनर की विस्‍तृत लाइब्रेरी तक पहुंचने का मौका देता है। इससे उन्‍हें मनोरंजन का पूरा-पूरा और विस्‍तृत अनुभव मिलेगा।‘’

दिलीप आर.एस., एलेक्‍सा स्किल्‍स कंट्री मैनेजर, अमेज़न इंडिया ने कहा, ‘’एलेक्‍सा के साथ म्‍यूजिक सुनना, हैंड्स फ्री एक सुखद अनुभव है। नये लॉन्‍च अमेज़न ईको शो के साथ यूजर्स अपने पसंदीदा म्‍यूजिक वीडियोज़ का आनंद अपने 10 इंच एचडी डिस्‍प्‍ले पर ले सकते हैं। हंगामा म्‍यूजिक के पास अलग-अलग भाषाओं में लेटेस्‍ट म्‍यूजिक वीडियोज़ का बहुत ही बड़ा कैटलॉग है और हमें पूरी उम्‍मीद है कि वॉयस-कंट्रोल की सुविधा और कंटेंट की विविधता के साथ अमेज़न ईको शो का अनुभव यूजर्स के लिये और भी ज्‍यादा समृद्ध होगा।‘’

हंगामा म्‍यूजिक से वीडियोज़ का मजा उठाने के लिये जब आप एलेक्‍सा से वीडियोज़ के लिये कह रहे हों तो आपको सिर्फ म्‍यूजिक वीडियोजशब्‍द को शामिल करना होगा। उदाहरण के लिये: ‘’एलेक्‍सा प्‍ले म्‍यूजि़क वीडियोज़’’। इस रिक्‍वेस्‍ट से वह वीडियो सीधे हंगामा म्‍यूजिक के वीडियो कैटलॉग से ईको डिवाइस के स्‍क्रीन पर सीधे स्‍ट्रीम होने लगेगा। अमेज़न ईको शो पर म्‍यूजिक वीडियोज़ प्‍ले करते समय सर्विस का नाम बोलने की जरूरत नहीं पड़ेगी।  

शनिवार, 27 अप्रैल 2019

उज्जैन नगरी को आदर्श पवित्र नगरी घोषित किए जाने को लेकर - साधू संत अनशन पर बैठे

उज्जैन : दुनियाभर में महाकाल मंदिर की नगरी के नाम से प्रसिद्ध उज्जैन नगरी को आदर्श पवित्र नगरी घोषित किए जाने को लेकर भारी संख्या में संत समाज आगे आया है. संत समाज का कहना है कि उज्जैन को आधिकारिक रूप से पवित्र नगरी का दर्जा दिया जाना चाहिए ताकि यहां सात्विकता को बढ़ावा दिया जा सके. इसके लिए ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि के मार्गदर्शन में क्रमिक आंदोलन की शुरुआत भी हो चुकी है. इसी क्रम में गुरुवार को उज्जैन के शर्मा परिसर में सुबह 7:30 से दोपहर 2:30 बजे तक उज्जैन एवं अन्य जगहों से आए सैकड़ों की संख्या में साधू संत अनशन पर बैठ गए. 

इस अनशन में महामना आचार्य कुशाग्रनंदीजी समेत अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव, विश्व हिन्दू परिषद् के मार्गदर्शक और ऊर्जा वर्ल्ड फाउंडेशन के संस्थापक ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि और अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं विश्व हिन्दू परिषद् के मार्गदर्शक मंडल के स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती भी मौजूद रहे. 

इस दौरान संतों को संबोधित करते हुए ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि ने कहा कि, राज्य सरकार की लापरवाही और सनातन धर्म की अनदेखी की वजह से महाकाल की धार्मिक नगरी में मांस-मदिरा का उपभोग और कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है. अब तो मंदिर परिसर के समीप भी इस कारोबार को धड़ल्ले से चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस अभियान को राम द्वारे मंदिर के संत पतीत राम स्नेही ने वर्षों पहले शुरू किया था. हालांकि उन वक्त भी किसी ने इस विषय पर ध्यान नहीं दिया. इसलिए इस मुहीम को एक बार फिर संतो और महंतो के नेतृत्व में दुबारा शुरू किया गया है.

पिछले दिनों संतों ने अपनी आवाज मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पहुंचाने के लिए उन्हें अपने रक्त से पत्र लिख हस्ताक्षर किए थे. इसके आलावा आम नागरिकों व श्रद्धालुओं का समर्थन जुटाने के लिए हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत भी की है. इसके लिए एक लाख से अधिक लोगो के हस्ताक्षर लेकर ऊपरी प्रशासन तक पहुंचाया जाएगा. 

गोदरेज कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स लिमिटेड छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में एम्बेड परियोजना का विस्तार करने जा रही है

उत्तर प्रदेश : गोदरेज कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स लिमिटेड (जीसीपीएल) ने मच्छरों से होने वाली स्थानीय बीमारियों के उन्मूलन के लिये चलाई जा रही परियोजना एम्बेड, का छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में विस्तार करने की घोषणा की। इसमें छत्तीसगढ़ में बस्तर और कोंडागांव जिलों के 200 गांव, और उत्तर प्रदेश के बरेली और बदायूं जिले के 200 गांव शामिल होंगे। इस विस्तार कार्यक्रम के दायरे में 1,50,000 जोखिम ग्रस्त लोग आयेंगे। जीसीपीएल आने वाले वर्षों में एम्बेड परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए इन दोनों राज्यों में स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर काम करेगा।

25 अप्रैल, 2017 को, विश्व मलेरिया दिवस पर, जीसीपीएल ने 2030 तक मलेरिया मुक्त भारत के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी और एम्बेड को शुरू किया, जिसका उद्देश्य वेक्टर जनित बीमारियों के कारण होने वाली रुग्णता और मृत्यु दर को कम करना है। इस परियोजना में व्यवहार परिवर्तन के लिए अभियान चलाना, शिक्षा प्रदान करना और नीचले समुदायों के लिए जागरूकता गतिविधियों का संचालन करना, उन्हें अपनी सुरक्षा का प्रभार लेने के लिए सशक्त बनाया जाना शामिल है। अपने पहले चरण में, एम्बेड ने भारत में मध्य प्रदेश के 2 जिलों, मंडला और डिंडोरी, में 207 गांवों में परियोजना को लागू किया। मध्य प्रदेश भारत का ऐसा राज्य रहा, जहां मलेरिया का सर्वाधिक प्रकोप था, लेकिन एम्बेड के शुरू होने के बाद एक वर्ष के भीतर, मलेरिया की जाँच करने में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, मच्छर भगाने वाली दवाओं या मच्छरदानी के इस्तेमाल में 11 प्रतिशत  की वृद्धि हुई और 80 प्रतिशत गाँवों में मलेरिया का प्रकोप कम होने की रिपोर्ट दर्ज की गई।

अपने दूसरे चरण में, इस परियोजना का विस्तार 7 अतिरिक्त जिलों में किया गया, जिसके अंतर्गत झाबुआ, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, अलीराजपुर और बालाघाट में 1,300 गांवों और 2,00,000 घरों को शामिल किया गया, जहां मलेरिया का प्रकोप अधिक था। मार्च 2019 तक, 81 प्रतिशत गांवों में मलेरिया के शून्य मामले दर्ज किए गए और मच्छर भगाने वाली दवाओं या मच्छरदानी के उपयोग में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई। एम्बेड को राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन संरचना (एनएफएमई) 2016-2030 के अनुरूप विकसित किया गया है, जो 2030 तक रोग को खत्म करने के भारत के एजेंडे का समर्थन करता है। यह परियोजना स्वच्छ भारत के हिस्से के रूप में, पर्यावरण प्रबंधन और वेक्टर नियंत्रण गतिविधियों के लिए सरकार के साथ सहयोग करती है। पिछले कुछ वर्षों में एम्बेड परियोजना मलेरिया के उच्च जोखिम वाले 10,16,453 लोगों तक पहुंच गई है।

परियोजना पर टिप्पणी करते हुए, श्री विवेक गंभीर, मैनेजिंग डायरेक्टर व सीईओ, गोदरेज कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स लिमिटेड ने कहाः “एक कंपनी के रूप में, गोदरेज ने हमेशा सामाजिक जिम्मेदारी को सक्रिय रूप से निभाया है। हम जिन समुदायों के बीच कामकाज करते हैं, उनकी सामाजिक प्रगति के लिए हम गहराई से वचनबद्ध हैं। हमारे पास व्यापार वृद्धि और नवाचार के लिए एक ‘साझा मूल्य’ एप्रोच है। इसके पीछे हमारी सोच कारोबारी सफलता को सामाजिक प्रगति से जोड़ने की है। अप्रैल 2016 में एम्बेड शुरू करने के बाद से हम मध्य प्रदेश सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। सरकार और फैमिली हेल्थ इंडिया ने राज्य में वेक्टर जनित रोगों के उन्मूलन की दिशा में जो समर्थन और प्रोत्साहन दिया है, उसके लिए हम बहुत आभारी हैं। हमारा मानना है कि मजबूत भागीदारी और सामुदायिक जुड़ाव से, हम 2030 तक भारत से मलेरिया के उन्मूलन की दिशा में अपने प्रयासों में भारी प्रगति कर सकते हैं। हम मध्य प्रदेश में एम्बेड की प्रगति से प्रोत्साहित हैं और अपने हस्तक्षेप और एंगेजमेंट मॉडल, और छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से मिली सीख को दोहराने के लिए तैयार रहेंगे।”

इसके साथ ही श्री विकास गोस्वामी, हेड, सस्टेनेबिलिटी - गुड एंड ग्रीन, गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड एंड एसोसिएट कंपनीज, ने कहाः “एम्बेड प्रमुख रूप से व्यवहार में परिवर्तन पर जोर देता है। इसने लोगों को उपयुक्त जानकारी प्रदान कर एवं निवारक उपयोग के प्रारूपों को प्रोत्साहित कर समुदायों को सशक्त बनाने में मदद की है। हमारा उद्देश्य वेक्टर जनित बीमारियों के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करना है, और किफायती मॉस्किटो रिपेलेंट की उपलब्धता बढ़ानी है, और इन बीमारियों से होने वाले हादसों के चलते पैदा होने वाले आर्थिक बोझ एवं उत्पादकता के नुकसान को कम करना है।”

डिश टीवी ने लॉन्च किया ‘वाचो’, डिजिटल दर्शकों पर केन्द्रित होकर ओरिजिनल कंटेन्ट के क्षेत्र में रखा कदम

शॉर्ट फॉर्मेट मनोरंजन की नई दुनिया, यूजर-जनरेटेड प्लेटफॉर्म और भी बहुत कुछ 
हिंदी, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में ओरिजिनल फिक्शन और असरदार शोज की श्रृंखला 


  • 1000 से अधिक घंटे की लाइब्रेरी मूवीज, शॉर्ट फिल्म्स और शोज की पेशकश
  • यूजर जनरेटेड कंटेन्ट पर केन्द्रित अनूठा टैलेंट इंजन, ताकि निर्माता अपनी प्रतिभा दिखा सकें
  • जारी आम चुनावों पर ओरिजिनल कॉमेडी शो ‘वोट द हेल’ लॉन्च किया
  • डिश टीवी और डी2एच के मौजूदा यूजर्स के लिये उपलब्ध और अब से कोई भी अन्य यूजर निशुल्‍क एक्‍सेस कर सकता है 
  • वेब, आईओएस और एंड्रॉइड पर एक्‍सेस कर सकते हैं 


नई दिल्ली : विश्व की सबसे बड़ी सिंगल-कंट्री डीटीएच कंपनी डिश टीवी इंडिया लिमिटेड ने डिजिटल वीडियो कंटेन्ट सेगमेंट में प्रवेश किया है और अपने नये ओटीटी एप ‘वाचो’ के लॉन्च की घोषणा की है। डिश टीवी का यह नया उपक्रम डीटीएच सेवा के अलावा एक संपूर्ण डिजिटल मनोरंजन प्रदाता बनने की कंपनी की रणनीतिक इच्छा का प्रमाण है। वाचो का लक्ष्य केवल शहरी भारत को नहीं बल्कि देश के युवा दर्शकों को संलग्नतापूर्ण एवं अलग हटकर कंटेन्ट देना है। इस नये प्लेटफॉर्म पर नये युग के कंटेन्ट का खजाना है जैसेकि ओरिजिनल सीरीज, शॉर्ट फिल्म्स, ऑन-द-गो स्नैकेबल वीडियो कंटेन्ट और सेलीब्रिटी सम्बंधों से लेकर इंफोटेनमेंट वीडियोज तक, जो डिश टीवी को भारत की पहली डीटीएच कंपनी बनाता है, जिसने अपने ओरिजिनल कंटेन्ट के साथ एक समर्पित ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है।

इस सेगमेंट में वाचो का प्रवेश एक ओरिजिनल कॉमेडी शो ‘वोट द हेल’ से होगा, जिसमें प्रसिद्ध कॉमेडियंस भारतीय चुनावों पर व्यंग्य करेंगे। इसके अलावा, वाचो और भी कई ओरिजिनल फिक्शन शोज की पेशकश करता है, जिसमें मिशन ब्रेकिंग न्यूज, छोरियाँ, राख्ता चंदाना और ओरिजिनल प्रभावी शोज, जैसे वोट द हेल, लुक आई कैन कुक, बिखरे हैं अल्फाज़, आदि शामिल हैं। वाचो लगभग 20 शोज के साथ ओटीटी स्पेस में प्रवेश कर रहा है और इस पर कई घंटों की मौलिक तथा संलग्नतापूर्ण विषय-वस्तु हिंदी, तेलुगू और कन्नड़ भाषा में उपलब्‍ध होगी।

वाचो 1000 घंटों से अधिक के लाइब्रेरी कंटेन्ट की पेशकश भी करता है, जिसमें मूवीज और शॉर्ट फिल्म्स शामिल हैं। सब्सक्राइबर्स लाइव या कैच-अप टीवी के माध्यम से अपने चहेते टीवी शोज और लोकप्रिय ड्रामा सीरीज का आनंद भी ले सकते हैं। वाचो डिजिटल उपभोग के लिये उपयुक्त शॉर्ट फॉर्मेट स्टोरी टेलिंग पर केन्द्रित है और कंटेन्ट की रणनीति भारत भर के युवा दर्शकों पर केन्द्रित है, केवल शहरी युवाओं के लिये नहीं। वाचो का कंटेन्ट सभी जोनर्स जैसे ड्रामा, कॉमेडी, थ्रिलर, रोमांस, भोजन, फैशन और काव्य में है। शुरूआती ऑफर के तौर पर नये और मौजूदा यूजर्स को वाचो का निशुल्क सब्सक्रिप्शन मिलेगा।

वाचो के लॉन्च पर टिप्पणी करते हुए श्री अनिल दुआ, कार्यकारी निदेशक एवं ग्रुप सीईओ, डिश टीवी इंडिया लिमिटेड ने कहा, ‘‘हम अपने अनूठे डिजिटल कंटेन्ट प्लेटफॉर्म ‘वाचो’ के लॉन्च की घोषणा कर रोमांचित है, जो डिश टीवी इंडिया को भारत में मनोरंजन का अनूठा गंतव्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ, हमारे दोनों ब्राण्ड, डिश टीवी और डी2एच पारंपरिक और स्ट्रीमिंग मीडियम से कंटेन्ट की पेशकश कर सकेंगे। हम पहले वर्ष में ही करीब 10 मिलियन यूजर्स तक पहुँचना चाहते हैं।’’

वाचो पर निर्माताओं के लिये एक रचनात्मक मंच भी होगा, जहाँ वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए वीडियो अपलोड करने, पुरस्कार जीतने और एक्सक्लूसिव ओरिजिनल शो में आने का मौका मिलेगा। वाचो एप डाउनलोड करने और देखने के लिये वेब, प्ले स्टोर, एप स्टोर पर उपलब्ध है और पिछले कुछ दिनों में इसके एक लाख से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं।

श्री आकाश त्यागी, हेड ओटीटी, डिश टीवी इंडिया लिमिटेड ने कहा, ‘‘हमारी ओरिजिनल कॉमेडी सीरीज ‘‘वोट द हेल’’ में लोकप्रिय भारतीय स्टैण्डअप कॉमेडियंस हैं, जिसमें भारतीयों का हास्यास्पद पहलू दिखाया जाएगा और बताया जाएगा कि हम चुनावों के दौरान मतदान की योजना कैसे बनाते हैं। हमें विश्वास है कि यह शो दर्शकों का बहुत मनोरंजन करेगा और पूरी समझदारी से मतदान करने के महत्‍व पर सशक्‍त संदेश देगा।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘यूजर जनरेटेड कंटेन्ट कैपेबिलिटी वाचो को अलग बनाती है, जिससे यूजर कंटेन्ट प्रस्तुत कर ऑनलाइन सेलीब्रिटी बन सकते हैं। आने वाले महीनों में हम इन प्रतिभावान लोगों को डिश टीवी और डी2एच के माध्यम से भी प्रमोट करेंगे। हम वाचो को सबसे बड़ा स्‍वतंत्र स्टोरीटेलिंग प्लेटफॉर्म बनाना चाहते हैं, जो डिजिटल ऑडिशन, फैन्‍स की भागीदारी की पेशकश करता है और कई अन्य फीचर्स की भी पेशकश की जाएगी।’

डिश टीवी का मानना है कि भारत करोड़ों कहानियों की भूमि है और यहां लाखों प्रतिभावान लोग अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिये उनके पास सीमित स्थान हैं। एक मंच के रूप में वाचो इसे आधार बनाता है। इस लक्ष्य से वाचो ने भारत के लगभग 25 कॉलेजों में शॉर्ट-फिल्म्स प्रतियोगिता के लिये आईएफपी कैम्पस कनेक्ट से हाथ मिलाया है। इसमें हजारों निर्माताओं ने भाग लिया और उनके द्वारा बनाई गई लगभग 1500 से अधिक शॉर्ट फिल्में वाचो पर दिखाई जा रही हैं। 

वाचो की ओरिजिनल कॉमेडी सीरीज ‘वोट द हेल’ में उभरते कॉमेडियंस हैं, जैसे जीवेशु अहलुवालिया, संदीप शर्मा, अंकिता श्रीवास्तव, अभिजीत गांगुली, रवि गुप्ता, आरजे विग्नेश और जबरदस्त भास्कर। आम चुनावों के परिदृश्य में हास्य और व्यंग्य के पुट वाले 5-6 मिनट के शॉर्ट वीडियोज दिखाए जाएंगे।

एंड्रॉइड और आईओएस मोबाइल्स के अलावा, वाचो सभी टैबलेट्स (आईपैड और एंड्रॉइड टैब्स) और https://www.Watcho.com/ पर उपलब्ध होगा। 

92.7 बिग एफएम की प्रतियोगिता बिग मेमसाब जियो अपने ख्वाब का सफलतापूर्वक हुआ समापन

92.7 बिग एफएम पर आयोजित प्रतियोगिता बिग मेमसाब जियो अपने ख्वाब का सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस प्रतियोगिता के अन्तर्गत हमने कानपुर शहर की विवाहित महिलाओं को अपने ख्वाब पूरे करने का एक शानदार मंच दिया। ये प्रतियोगिता 4 वर्गो में विभाजित थी जो थी, सिंगिंग, एक्टिंग, डांसिग, कुकिंग।

92.7 बिग एफएम के आरजे ने ऑन-एयर, डिजिटल एवं शहर के विभिनन क्षेत्रों में जाकर विवाहित महिलाओं को बिग मेमसाब प्रतियोगिता से अवगत कराया। जिसके परिणाम स्वरुप 21 अप्रैल 2019 को सिविल लाइन स्थित डी.जी. काॅलेज में 500 से ज्यादा महिलाओं ने बिग मेमसाब के ऑडिशन राउड के लिये स्वयं को रजिस्र्टड करवाया। ऑडिशन रांउड के पश्चात हमने चारों केटेगिरी से 5-5 सर्वश्रेष्ठ प्रतिभागी चुने।

तत्पश्चात डी एंड जे ग्रांड में बिग मेमसाब 2019 के फाईनल का भव्य आयोजन रखा गया, जहां एक कड़ी प्रतिस्पर्धा के पश्चात बिग मेमसाब 2019 जियो अपने ख्वाब का खिताब श्रीमती शालिनी गुप्ता ने जीता। 92.7 बिग एफएम और हीरो मोटर्स की ओर से इन्हे हीरो डेस्टिनेशन 125 सीसी का आकर्षक स्कूटर पुरस्कार स्वरुप प्रदान किया गया। 92.7 बिग एफएम हर केटेगिरी के जज जिन्होंने ऑडिशन से लेकर फाईनल तक अपनी अमूल्य सेवाएं दी।

सिंगिंग में विनोद द्विवेदी, इन्दू ठाकुर, अनंत गुप्ता, एक्टिंग में प्रदीप जैन, डाॅ. ओमेन्द्र और विक्रांत श्रीवास्तव
डांसिंग में अंजनी सरिन, विपीन निगम और सोमिया गुप्ता, कुकिंग में प्रभा पाण्डेय, मंजू आनंद, नीलू सिंह और शुभम को तहे दिल से शुक्रिया अदा करता है । साथ ही साथ पूरे कार्यक्रम के सहयोगी थे हीरो मोटर्स, वेरिर्शुय सेनेटरी पैड, मल्हौतरा साड़ीस, वीएलसीसी, प्रिंट पार्टनर अमर उजाला, वेन्यू पार्टनर, डीजी काॅलेज और डी एंड जी ग्रांड होटल टीवी पाटर्नर स्वदेश न्यूज, सिंघम फिल्मस, विचार संग्रह परिवार और द सोशल वर्कर्स फाउडेशन।

सन किंग का अपने वितरकों के लिए होंडा टू-व्हीलर्स पुरस्कार

बिहार : ग्रीनलाइट प्लेनेट वह कंपनी है, जो सन किंग ब्रांड नाम से सोलर होम एनर्जी के उच्च गुणवत्ता और सस्ते उत्पाद डिज़ाइन, निर्माण और बेचती है, इस कंपनी ने पूरे भारत में अपने वितरकों के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया था, जिसमें विजेताओं को होंडा टू-व्हीलर जीतने का मौका मिला. बिहार से मेघानी टेलीकॉम, महावीर ऑटोमोबाइल्स और इलेक्ट्रिक जोन विजेता रहे.

कंपनी के द्वारा आयोजित ‘सोलर वीक्स’ उन कई योजनाओं में से एक योजना है, जो कंपनी के लक्ष्य में ऊंचे दर्जे के वितरकों को उनके योगदान के लिए पुरस्कृत करने हेतु चलायी जाती हैं. सन किंग के तेरह रिटेल वितरकों ने एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करने के लिए इस प्रतियोगिता में भाग लिया. नियमित बिक्री करने के अलावा, ग्रामीण रिटेल वितरण में अधिकतम पहुंच प्राप्त करने में इन वितरकों से मदद मिली है और ये वितरक पांच राज्यों में घरों और व्यवसायों के लिए सस्ते सोलर उपकरण उपलब्ध करने में समर्थ रहे थेः बिहार, ओडिसा, उत्तर प्रदेश, असम, नागालैंड और मणिपुर.

“मैं सन किंग की तरफ से यह पुरस्कार मिलने पर बहुत सम्मानित महसूस कर रहा/रही हूं और अब यह पुरस्कार मिलने से मैंने कम समय में भी अपनी पहुंच और क्षमता साबित की है. मैं जब भी सन किंग सोलर लैंप बेचता/बेचती हूं, मुझे हमेशा गर्व होता है. पहली खरीद की तुलना में इन उत्पादों की मांग में बहुत अधिक वृद्धि हुई है. सन किंग का हमेशा से बहुत समर्थन मिला है और हम सोलर क्रांति के संबंध में कार्य करने के लिए हमेशा सच्चे भागीदार बने रहेंगे”, प्रतियोगिता के एक विजेता महावीर ऑटोमोबाइल्स के मालिक श्रीमान चंदन कुमार ने कहा. प्रतियोगिता का आयोजन उन वितरकों को पुरस्कृत करने के लिए किया गया था, जिन्होंने सन किंग सोलर उत्पादों के 2500 से अधिक यूनिट्स बेचे थे. 

विजेताओं को बधाई देते हुए, ग्रीनलाइट प्लेनेट के श्रीमान संतकुमार मिश्रा, क्षेत्रीय विक्रय प्रबंधक, बिहार, भारत ने कहा, “हमें अपने उन सम्मानित वितरकों के लिए इस प्रतियोगिता का आयोजन करने में बहुत खुशी मिली है, जिनसे हमें अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने में हर दिन मदद मिलती है. हम उन सभी वितरकों को बधाई देते हैं और उनका स्वागत करते हैं, जो हमसे जुड़े हैं और जिन्होंने अपने कौशल का अपना जुनून दिखाया है और हम अन्य लोगों को इस सोलर क्रांति से जुड़े रहने का आग्रह करते हैं.”

ग्रीनलाइट प्लेनेट ने भारत के 20 राज्यों में मेहनत कर रहे 200 से अधिक वितरकों के लिए बहुत संतोषजनक प्रोत्साहन और कमीशन रखा है. वितरण की इस मूलभूत सुविधा से कंपनी को 1000 से कम जनसंख्या वाले दूरस्थ गांवों में भी पहुंच करने में मदद मिलती है. संगठन ने प्रामाणिक और विश्वसनीय सोलर डिलीवरी और सर्विसिंग स्थापित करने के लिए पिछले 10 वर्षों में एजेंट्स और लघु व्यवसाय के मालिकों के साथ जमीनी स्तर पर लगातार काम किया है. दो वर्ष की अवधि में सन किंग के उत्पाद पूरे देश में अब सभी 1500 रिटेल आउटलेट्स में बेचे जाते हैं.

उज्जैन को पवित्र नगरी बनाए जाने की मांग पूरी न होने तक, देश के हर कोने में होगा अनशन : ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि

उज्जैन : महाकाल की नगरी नाम से पहचाने जाने वाले मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर को आदर्श पवित्र नगरी बनाए जाने की मांग तेज होती दिख रही है। ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि द्वारा शुरू की गई इस मुहीम को अब देशव्यापी रूप से फलते फूलते देखा जा सकता है। मध्यप्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों से भी उज्जैन को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने लगी है। हालांकि इस विषय पर मध्यप्रदेश शासन का उदासीन रवैया अभी भी जारी है। जिसे देखते हुए ऊर्जा गुरु ने एक बार फिर तीखे शब्दों में सरकार को चेतावनी दी है। बुधवार को उज्जैन से प्रवास करने से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अरिहंत ऋषि ने उज्जैन को पवित्र नगरी का दर्जा दिए जाने में टालमटोल का रवैया अपना रही कमलनाथ सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल करने का ऐलान किया है। ऊर्जा गुरु ने साफ़ शब्दों में कहा कि, "यदि कमलनाथ सरकार उज्जैन मुद्दे पर अपनी गंभीरता व्यक्त नहीं करती है तो हम जल्द ही अपने अभियान को एक नया मोड़ देंगे और इसकी शुरुआत गुरूवार से ही, भूख हड़ताल के रूप में होगी।"

ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि ने 'उज्जैन बने पवित्र नगरी' मुहीम को देशव्यापी रूप से एक आंदोलन का रुख देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि, "हमने स्याही व खून, दोनों से ही पत्र लिखकर सीएम कमलनाथ से उज्जैन को पवित्र नगरी का दर्जा दिए जाने का आग्रह किया है। लेकिन शायद हमारा आग्रह उन्हें मंजूर नहीं है और इसीलिए हमने भूख हड़ताल का रास्ता चुना है। आज संत समाज भी उज्जैन के साथ खड़ा है और हस्ताक्षर अभियान के साथ उज्जैनवासियों ने भी इस मुहीम के प्रति अपनी सहमति दी है। इन सब बातों के बाद भी सरकार जागने को तैयार नहीं है तो हम उसे नींद से जगाने की हर मुमकिन कोशिश करने के लिए तैयार हैं।"


उज्जैन को आधिकारिक रूप से पवित्र नगरी घोषित किए जाने की मांग कई वर्षों से की जा रही है। वहीं पिछले दिनों संत समाज ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपने खून से लिखे गए पत्र पर हस्ताक्षर कर इस संबंध में अवगत भी कराया था। संत समाज का मानना है कि वह धर्म नगरी जहां के निवास मात्र से ही सभी पुण्यफल प्राप्त हो जाते हो, वह वास्तव में पवित्र स्थान है। भारत में 7 ऐसे शहर है जिन्हें पवित्र उत्तम फल देने वाले माना गया है, उनमे से एक उज्जैन नगरी भी है और इस स्थान को हमेशा पवित्र बनाये रखने की जिम्मेदारी भी हमारी है। ऊर्जा गुरु की मांग है कि उज्जैन में साफ सफाई के साथ-साथ सात्विक भोजन और सात्विक आचरण का बोलबाला हो और मंदिर परिसर के समीप मांस मदिरा वर्जित हो एक ऐसी धार्मिक नगरी के रूप में उज्जैन को पहचान दिलाई जानी चाहिए।

गुरुवार, 25 अप्रैल 2019

ऊर्जा गुरु के समर्थन में उतरा संत समाज, सीएम कमलनाथ को भेजी खून से लिखी चिट्ठी

- उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित किए जाने की मांग को लेकर आक्रोशित हुआ संत समाज
- देशभर में मौजूद अनुयायियों से की अनशन की गुजारिश
- मांग पूरी न होने तक देशव्यापी रूप से जारी रहेगा जन आंदोलन
- ये सिर्फ ऊर्जा गुरु की नहीं, पूरे देश की लड़ाई है- संत समाज

उज्जैन : पिछले कई दिनों से उज्जैन को पवित्र नगरी बनाए जाने की मांग कर रहे जैन धर्म के प्रमुख संत ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि के समर्थन में गुरूवार को उज्जैन में साधू संतों की एक टोली का क्रांतिकारी रुख देखने को मिला। देवास रोड स्थित होटल के सभागार में स्वर्णिम भारत मंच के बुलावे पर करीब 100 से अधिक साधू संत एकत्रित हुए और ऊर्जा गुरु के उज्जैन को पवित्र नगरी बनाए जाने की मांग को देशहित में बताया। इस दौरान उन्होंने ऊर्जा गुरु द्वारा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के नाम खून से लिखे खत पर अपने हस्ताक्षर भी किए। संत समाज की तरफ से उज्जैन के विभिन्न अखाड़ों से जुड़े साधु संतों ने एक स्वर में उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित कराने का संकल्प दोहराया। बड़ी संख्या में उपस्थित हुए महामंडलेश्वर से लेकर बड़े-बड़े अखाड़ों के संतों के बीच मुंबई से आए ऊर्जा गुरु अरिहंतऋषि और स्वामी जीतेन्द्रनन्द सरस्वती ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। इस दौरान निर्वाणी अखाड़ा के महंत दिग्विजय दास महाराज, मंच के दिनेश श्रीवास्तव भी मौजूद रहे। 

होटल के सभागार में आयोजित हुए कार्यक्रम में ऊर्जा गुरु ने अपना क्रांतिकारी रवैया जारी रखते हुए कहा कि, “सभी साधु संतों के सहयोग से उज्जैन नगरी पवित्र घोषित होगी। आज प्रदेश में सनातम धर्म के मंदिरों में प्रशासन के अधिकारी बैठे हैं, जबकि किसी भी मस्जिद या चर्च परिसर ने प्रशासनिक अधिकारियों का कब्ज़ा नहीं होता है। यदि कमलनाथ जल्द से जल्द इस विषय पर गंभीर नहीं हुए तो संत समाज और अधिक आक्रोशित नजर आएगा। सिर्फ संत समाज ही नहीं बल्कि देशभर से जो लोग इस मुहीम में जुड़े हैं, वह भी एक एक दिन का अनशन कर, अपनी बात प्रशासन तक पहुचाएंगे और मांगे पूरी न होने तक ये अनशन की प्रक्रिया ऐसे ही जारी रहेगी। यदि हमारी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो सीएम साहब इस बात का ख्याल रखें कि इसके विपरीत और बेहद भयावय परिणाम भी हो सकते हैं।“ 

वहीँ स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि, “उज्जैन के साधू संतों को एकजुट होकर इसे पवित्र नगरी घोषित कराने को लेकर प्रतिकार करना होगा। हमारे कदम बढ़ाए बगैर उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित नहीं किया जा सकता। सनातन धर्म की रक्षा के लिए सभी साधु संतो को एकता का सुर साधना होगा, नहीं तो कोई भी हमारी आवाज दबा के निकल जाएगा।“ मुख्यमंत्री के नाम खून से लिखे पत्र में लिखा गया कि, पुण्य सलिला मां शिप्रा तट पर स्थित उज्जैयिनी को भारत राष्ट्र की सांस्कृतिक काया का मणिपुर चक्र माना गया है। इस नगरी को भारत की मोक्षदायिका सप्त प्राचीन पुरियों में एक माना गया है। 

संत समाज का कहना है कि पहले भी इस मुद्दे को लेकर आंदोलन हुए हैं। लेकिन खून से लिखा गया खत अब एक निर्णायक आंदोलन के रूप में देखा जाना चाहिए। उज्जैन केवल सनातन तीर्थ ही नहीं है बल्कि सम्पूर्ण देश की भावनाएं भी इस शहर से जुड़ी हुई हैं। पिछले दिनों उज्जैन में पवित्र नगरी के प्रावधानों का पालन कराने के लिए संत अरिहंत ऋषि ने जन अभियान छेड़ने की बात भी कही थी। उन्होंने महावीर जयंती के मौके पर जन आंदोलन छेड़ने का एलान भी किया था। जिसको प्रशासन ने अनदेखा किया। ऊर्जा गुरु का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा घोषित पवित्र क्षेत्र में मांस मदिरा की दुकानें नहीं होनी चाहिए। लेकिन उज्जैन में धड़ल्ले से इस कारोबार को हवा दी जा रही है, और किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई होती नहीं दिखा रही है।

भारत में पहले माइकल यंग लेक्चर के लिए ऊषा सिलाई स्कूल ने स्कूमल ऑफ सोशल एंटरप्रेन्योेर्स के साथ की साझेदारी

वैश्विक स्तर पर एसएसई की 20वीं वर्षगांठ के जश्न में आयोजित कार्यक्रम में ऊषा सिलाई स्कूल की पांच महिला कारोबारियों को सम्मानित किया गया

नई दिल्ली : ऊषा इंटरनेशनल लिमिटेड की एक पहल, ऊषा सिलाई स्कूल ने भारत में पहले माइकल यंग मेमोरियल लेक्चर के लिए स्कूल ऑफ सोशल एंटरप्रेन्योर्स इंडिया (एसएसई इंडिया) से हाथ मिलाया। दुनिया भर में एसएसई की 20वीं वर्षगांठ, एसएसई इंडिया की तीसरी वर्षगांठ और सोशल स्टार्टअप फैलोशिप प्रोग्राम 2018 के दीक्षांत समारोह के अवसर पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम ने ऊषा इंटरनेशनल की सामाजिक नवाचार और उद्मिता के प्रति लगातार प्रतिबद्धता पर बल दिया। “साहस के शिखर” की थीम पर आधारित इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से हाउस ऑफ लॉड्र्स की को-ऑपरेटिव मेंबर एवं लेबर बैरोनेस डोरोथिया ग्लेनीज थॉर्नटन का प्रमुख संबोधन शामिल रहा। इसके अलावा कार्यक्रम में “सामाजिक उपक्रम के निर्माण में निजी क्षेत्र” की भूमिका विषय पर पैनल चर्चा भी हुई। पैनल में बैरोनेस थॉर्नटन के साथ डॉ. प्रिया सोमैया, ज्योत्सना सितलिंग, शर्मिला कर्वे और हरिवंश चतुर्वेदी शामिल थे। कार्यक्रम में ऊषा सिलाई स्कूल की पांच महिला कारोबारियों और एसएसई से ग्रेजुएशन कर रहे सामाजिक उद्यमियों के मौजूदा बैच को भी सम्मानित किया गया।

माइकल यंग मेमोरियल लेक्चर की पेशकश ब्रिटिश समाजवेत्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता माइकल यंग, जिन्हें डेरिंग्टन का लॉर्ड यंग भी कहा जाता है, के सम्मान में की गई। माइकल यंग ने एक नया शब्द “मेरिटोक्रेसी” (योग्यताशाही) ईजाद किया था। माइकल यंग ब्रिटेन के बहुत बड़े कारोबारी और सामाजिक अन्वेषक थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में 40 से ज्यादा सामाजिक उपक्रम स्थापित किए। इसके अलावा उन्होंने 1997 में लंदन में एसएसई की स्थापना की। इस मेमोरियल लेक्चर में सामाजिक उद्यमिता के विकास के कारणों को विशेष रूप से उभारा गया।

ऊषा सोशल सर्विसेज की कार्यकारी निदेशक डॉ. प्रिया सोमैया ने कहा, “ग्लोबल लेवल पर एसएसई की 20वीं वर्षगांठ पर हम एसएसई इंडिया से साझेदारी कर काफी गर्व महसूस कर रहे हैं। हम एसएसई के संस्थापक माइकल यंग की जिंदगी का जश्न मना रहे हैं। एसएसई का प्रेरणादायक सफर ऊषा सिलाई स्कूल के विजन से काफी मेल खाता है। ऊषा स्कूल ने गरीब समुदाय की महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से ताकतवर बनाने के लिए सिलाई को एक प्लेटफॉर्म की तरह इस्तेमाल किया। इससे महिलाएं घर बैठे ही सुविधाजनक ढंग से पैसे कमाने के काबिल बन गईं। इससे न सिर्फ उनके जीवन स्तर में सुधार आया, बल्कि उन्होंने अपने परिवार को भी सहारा दिया।“

इस अवसर पर बैरोनेस ग्लेंनीज थॉर्नटन ने कहा, “एसएसई अगली पीढ़ी के सामाजिक उद्यमियों को आधुनिक संसाधनों से लैस करने में विश्वास रखता है, जिससे बड़े पैमाने पर सामाजिक और पर्यावरणीय बदलाव लाए जा सकें। इसलिए मुझे माइकल यंग लेक्चर देने का प्रस्तानव मंजूर करने में काफी खुशी हुई। हमारा उद्देश्य लोगों को मोबिलाइज करना और समाज में व्यापक बदलाव लाने के लिए कारोबार के प्रति उनके नजरिये का समर्थन करना है। ऊषा इंटरनेशनल सिलाई स्कूल के प्रोग्राम का महत्व खुद अपनी आंखों से देखकर मुझे वाकई बेहद आनंद आया। मैंने कुछ महिलाओं से मुलाकात की, जिनकी जिंदगी इस प्रोग्राम से पूरी तरह बदल गई है। यह समाज के लिए एक प्रेरणादायक मिसाल है, जिसे सोशल कॉरपोरेट सही मंशा और प्रभावी अमल के साथ अपनाकर समाज में व्यापक बदलाव ला सकते हैं।“

आज ऊषा सिलाई स्कूल के कार्यक्रम ने महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर, ज्यादा आत्मविश्वासी बनाकर महिलाओं को सफलतापूर्वक मजबूत बनाया है। जहां इससे महिलाओं को पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर स्वीकार्यता मिली है, वहीं उनमें उद्यमिता की भावना भी भर गई है। आज की तारीख में देश के सभी राज्यों में ऊषा के 20,350 से ज्यादा सिलाई स्कूल चल रहे हैं। इसमें ऊषा सिलाई स्कूल ने 59 गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और 14 कॉरपोरेट या संस्थौगत भागीदारों के साथ सहयोग किया है। 4,05,000 से ज्यादा महिलाओं ने इन सिलाई स्कूलों से अपने कोर्स पूरे किए हैं। रोजाना औसतन करीब 25 हजार महिलाएं इन स्कूलों में सिलाई सीखकर अपने हुनर को निखार रही हैं। शुरू- शुरू में महिलाओं की औसत कमाई 1800 रुपये प्रति महीने होती है। कई महिलाएं सिलाई से 56 हजार रुपये हर महीने तक कमा रही हैं।  

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

कबाड ऑनलाइन डॉट कॉम अपने फ्रेंचाइजी पार्टनर्स की तलाश में जुटा

मध्यप्रदेश में कबाड़ ऑनलाइन डॉट कॉम का फ्रेंचाइजी पार्टनर बनने का सुनहरा अवसर  

  • तमाम शहरों से मिली अविश्वसनीय प्रतिक्रिया 
  • राज्य के अन्य शहरों में फ्रेंचाइजी पार्टनर्स की तलाश
  • करें संस्था के ब्रांड और काम करने के तरीकों का इस्तेमाल 

भोपाल : मध्यप्रदेश के इंदौर सहित अन्य शहरों के तमाम घरों को कबाड़ मुक्त बनाने के बाद कबाड़ ऑनलाइन डॉट कॉम अब राज्य के लगभग सभी शहरों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने जा रहा है। महज दो महीनों के सीमित समय में ही प्रदेशवासियों से अविश्वसनीय प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद कबाड़ ऑनलाइन अब राज्यभर में अपने फ्रेंचाइजी पार्टनर्स की तलाश कर रहा है। संस्था राज्य के विभिन्न छोटे-बड़े शहरों में इच्छुक उम्मीदवारों के समक्ष फ्रेंचाइजी विकल्प पेश कर रही है। 

पार्टनर बनने के लिए संस्था के साथ एक अनुबंध करना होगा, जिसके बाद पार्टनर्स कबाड़ ऑनलाइन ब्रांड के नाम का प्रयोग करके अपने सम्बंधित शहर में इसकी शाखा की शुरुआत कर सकते हैं। ख़ास बात यह है कि कबाड़ ऑनलाइन का फ्रेंचाइजी पार्टनर बनने के लिए आपको बेहद न्यूनतम शुल्क अदा करना होगा। एक बार संस्था का पार्टनर बनने के बाद पार्टनर्स संस्था के ब्रांड, व्यापार करने के तरीके, उसके द्वारा किये गए निर्धारित मूल्य एवं तकनीकी आदि का इस्तेमाल कर सकते है।  

कबाड़ ऑनलाइन डॉट कॉम की एक संस्थापक लातिसा राजन के मुताबिक, “प्रदेश के अधिकतम आबादी वाले शहरों में हमें बहुत अच्छा रेस्पॉन्स मिला है। लोगों को घर बैठे कबाड़ बेचने की ऐसी अनोखी सुविधा शायद पहली बार ही देखने को मिली और यही वजह हैं कि लोगों ने इसे काफी पसंद भी किया है। इसलिए हमने अब प्रदेशभर में अपनी नई शाखाएं खोलने का फैसला किया है जिसके लिए हम इच्छुक उम्मीदवारों से उनके आगे आने की उम्मीद कर रहे हैं।“ 

एक अन्य संस्थापक जसनिधि कौर का कहना है कि, किसी को भी अपने घर पर कबाड़ इकठ्ठा करना पसंद नहीं होता और ऐसे में जब आपको बिना भाग दौड़ किये सिर्फ अपने फोन का इस्तेमाल करके सारा स्क्रैप मैटेरियल घर बैठे बेचने का मौका मिलता है और वो भी बाजार से अच्छे दामों पर तो जाहिर सी बात है कि आप इसे पसंद करने लगते हैं। हम इंदौर वासियों को अपने काम से संतुष्ट करने में सफल रहे हैं और अब अन्य शहरों की जनता को भी इसके फायदे बताना चाहते हैं ताकि लोगों को घर का कबाड़ खाली करने के लिए अधिक माथापच्ची न करनी पड़े।“   

कबाड़ ऑनलाइन डॉट कॉम, देश की अपने आप में ऐसी पहली संस्था है जो घर पर पड़े स्क्रैप मैटेरियल्स यानी रद्दी माल को ऑनलाइन माध्यम से बेचने की सुविधा देती है। इसके जरिए कोई भी सेलर सीधे बाजार से संपर्क करके रद्दी माल बेच सकता है। इसके अलावा थोक में रद्दी माल बेचने पर स्पेशल ऑफर्स का लाभ भी उठाया जा सकता है। खास बात यह कि संस्था के सभी वेंडर्स जो कस्टमर्स के घर रद्दी माल की बिक्री करने पहुंचते हैं, उनका पुलिस वैरिफिकेशन भी होता है, जो किसी प्रकार की धोखाधड़ी से बचाने में सहायता करता है। संस्था कबाड़ के माल पर मार्केट रेट से 10 फीसदी अधिक दाम देने का वादा करती है।

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

अपने प्राणों को नया आयाम देना ही प्राणायाम है

“हमारे फेफड़ों को 50 लीटर वायु की जरुरत मगर ले रहे है कितनी ?“

खुद की जीवन शक्ति को नियमित करना, अपने प्राणों को नया आयाम देना ही प्राणायाम है। यह कई प्रकार के होते हैं और प्रत्येक प्राणायाम का अपना एक निश्चित कार्यक्षेत्र होता है, लेकिन सभी प्रकार के प्राणायामों का आधार गहरे लम्बे श्वास प्रश्वास से ही जुड़ा होता है। सिर्फ दो मिनट के लिए अपनी आँखों को बंद कर, अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने से ही हम मानसिक तनाव से मुक्ति का अहसास करने लगते हैं। दरअसल जब हम साधारण श्वास लेते हैं तब हमारी सांस केवल हृदय से कण्ठ तक ही आती जाती है, लेकिन जब हम गहरी लंबी सांस लेते हैं तो हमारे पूरे फेफड़े वायु से भर जाते हैं, छाती फूल जाती है और जब श्वास छोड़ते हैं तो फेफड़ों व छाती का संकोचन होता है। फेफड़ों का यह संकोचन क्या और क्यों होता है इसे समझना भी आवश्यक है।

दरअसल हमारे शरीर में छाती के दायी तथा बायीं ओर दो फेंफड़े है और इनके बीच हमारा ह्रदय आता है यानी हमारा दिल। हमारे फेफड़ो में 75 करोड़ कोशिकाएं हैं और इनके बीच खाली स्थान होता हैं। जब हम साधारण श्वास लेते व छोड़ते है तो केवल एक तिहाई कोशिकाएं ही प्रभावित होती है, शेष दो तिहाई निष्क्रिय ही पड़ी रहती हैं।


साधारण श्वास लेते समय हम एक मिनट में 18 सांस भरते-छोड़ते हैं और प्रत्येक सांस में आधा लीटर वायु अन्दर भरते हैं, यानी एक मिनट में नौ लीटर वायु हमारे भीतर जाती है। जब हम चलते हैं, तो हमारी वायु भरने की क्षमता 16 लीटर हो जाती है। तेज चलते समय 27 लीटर प्रति मिनट और दौड़ते समय 45 लीटर तक हवा हमारे अंदर जाती है। गहरे लम्बे श्वास भरते हुए भी हम 45 से 50 लीटर वायु ग्रहण करते हैं। इसीलिए प्राणायाम करते समय हमारी फेफड़ो की वायु ग्रहण क्षमता बहुत अधिक होती है और हम अधिक से अधिक आक्सीजन भी ग्रहण करते हैं। साधारण श्वास प्रश्वास की प्रक्रिया में न तो आक्सीजन पूरे फेफड़ो में पहुंचती है और न ही पूरी कार्बन डायआॅक्सायड बाहर निकलती है। इसलिए हमें प्राणायाम को अपनी आदत का हिस्सा बना लेना चाहिए क्योंकि प्राणायाम करते वक़्त हम गहरी लम्बी सांसें भरते हैं और ज्यादा ऑक्सीजन ग्रहण कर पाते हैं।

बुधवार, 17 अप्रैल 2019

एतिहाद एयरवेज के साथ अबु धाबी में दो रातों का मुफ्ता में आनंद उठायें


अबु धाबी, संयुक्त अरब अमीरात : एतिहाद एयरवेज अबु धाबी से हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को यूएई की राजधानी में निशुल्क ठहरने के लिये आमंत्रित कर रहा है। यह पेशकश आज लॉन्‍च किए गए लैण्डमार्क ग्लोबल प्रमोशन के हिस्से के तौर पर की गई है।


अबु धाबी एक जीवंत और विविधतापूर्ण शहर है, जो आगंतुकों को सांस्कृतिक आयामों, प्रभावशाली आर्किटेक्चर, विश्व-स्तरीय थीम पार्कों, समुद्रतटों और रेगिस्तान का मजा लेने का मौका दे रहा है। यह शहर अकेले यात्रा करने वाले लोगों एवं कपल्‍स को खूब पसंद आता है, जो अनूठे यात्रा अनुभव की खोज में रहते हैं, साथ ही वे परिवार भी यहां आते हैं, जो बच्चों के साथ यादगार क्षण बिताना चाहते हैं, इस प्रकार यह एक संपूर्ण अवकाशकालीन गंतव्य है।

एतिहाद एयरवेज अबु धाबी के जरिए एतिहाद के सभी गंतव्यों से एवं यहां के लिए उड़ानें बुक करने वाले सभी यात्रियों के लिये अबु धाबी में दो रात होटल में ठहरने की निशुल्क व्यवस्था कर रहा है। अतिथि इस शहर के 15 होटल्स में चुन सकते हैं, जिनमें फाइव-स्टार इंटरकॉन्टिनेंटल अबु धाबी, डुसिट थानी अबु धाबी, कोर्टयार्ड बाय मैरिएट डब्ल्यूटीसी, क्राउन प्लाजा और रैडिसन ब्लू शामिल हैं।

अबु धाबी में ठहरने की निशुल्क व्यवस्था etihad.com पर ऑनलाइन बुकिंग से या किसी ट्रैवेल एजेंट द्वारा 10 अप्रैल से 15 जून 2019 तक 21 अप्रैल से 15 जुलाई 2019 के बीच की उड़ानों के लिये उपलब्ध है।

अतिथि 48 घंटे के निशुल्क यूएई ट्रांजिट वीजा के साथ अबु धाबी में ठहर सकते हैं। यह ट्रांजिट वीजा आगमन पर उपलब्ध है और ऐसे अतिथियों के लिये है, जिनकी वहाँ से यात्रा की पुष्टि हो चुकी है, यह पहले 48 घंटों के लिये निशुल्क है और अतिरिक्त खर्च कर इसकी समय सीमा 96 घंटों तक बढ़ाई जा सकती है।

एतिहाद एविएशन ग्रुप के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी रॉबिन कामार्क ने कहा, ‘‘अबु धाबी आने वाले लोगों की संख्या प्रति वर्ष बढ़ रही है, और इस प्रमोशन से हम विश्व के अधिक से अधिक लोगों को अद्भुत नजारे दिखा सकेंगे। अतिथियों का स्वागत पारंपरिक अरबी तरीके से होगा, उन्हें आधुनिक आधारभूत संरचना, बहु-सांस्कृतिक समाज और शहर तथा अमीरात के कई अनूठे आकर्षणों का आनंद मिलेगा।’’

मुंबई का मिर्ची एंड माइम रेस्टोरेंट अब मिनी मुंबई - इंदौर में

इंदौर : स्क्वेयरमील फूड्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित मिर्ची एंड माइम ने मुंबई में अपनी शानदार सफलता के बाद, इंदौर के लोगों को अपने क्लासिकल फूड्स का मॉर्डन अनूठा अहसास देने के लिए तैयार है। अपनी मुंबई ब्रांच के लिए अनगिनत पुरस्कार जीतने के बाद, वे अब इंदौर के साउथ तुकोगंज में लॉन्च करने के साथ इंदौर में पाककला के इस नए अनुभव को लाने के लिए तैयार हैं। यह रेस्टोरेंट आरामदायक और सुखद अहसास वाले माहौल में सर्वश्रेष्ठ आधुनिक-भारतीय भोजन प्रदान करने में माहिर है। मूक-बधिर (एसएचआई) स्टांफ को साथ लेकर, रेस्टोरेंट ने मूक-बधिर लोगों के बारे में आम धारणा को बदल दिया है और उनको समाज का सक्रिय हिस्सा बनाकर एक हलचल पैदा कर दी है।

इंदौर खाने-पीने के शौकीनों का शहर है, जहां शहर का हर नुक्कड़ और कोना अपने खास भोजन के लिए जाना जाता है। शहर की इस भावना की कद्र करते हुए, मिर्ची एंड माइम के मेनू में आधुनिकता और सौम्यता की झलक के साथ देश के विभिन्न शहरों के प्रामाणिक पारंपरिक फ्लैवर्स भी उपलब्ध हैं। वेज और नॉन-वेज दोनों को पसंद करने वालो के लिए मेनू में विकल्प मौजूद हैं, जिसमें स्वाद से भरे तंदूर और करी जैसे भूत झोलकिया ब्रोकली, नेहरू पैलेस पनीर मेथी मखनी, अमृतसरी फिश टिक्का, बंगाली चनार दाल, थ्री बीन मेथी मलाई खिचड़ी और मद्रास मटन करी शामिल हैं। वे भोजन को समृद्ध बनाने के लिए मनभावन डेसर्ट भी पेश करते हैं, जैसे श्रीलंका जैगरी पुडिंग, फ्रेश एप्पल क्रंबल, कोकोनट बेकवेल टार्ट और ट्रायो ऑफ हलवा टार्टलेट्स। मिर्ची एंड माइम के मेनू में जायके और आधुनिकता का अनूठा संगम है। अगर कई तरह के विकल्पों को देखकर आप परेशान हो जाते हैं, तो यह रेस्टोुरेंट एक फिक्स्ड  4-कोर्स वाला मेनू भी प्रदान करता है जिसमें रेस्टोरेंट के क्यूेरेटेड मेनू का सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध  है।

लॉन्चिंग के अवसर पर, श्री शिशिर गोर्ले, फाउंडर व श्री राजा शेखर रेड्डी, स्क्वेयरमील फूड्स ने कहा कि “इंदौर शहर भोजन को लेकर बेहतरीन समझ रखने वाले लोगों से भरा हुआ है। वे अपने भोजन का आनंद लेते हैं और अच्छे भोजन से प्राप्त अनुभव से काफी प्रसन्न होते हैं। हम इन विकसित और बेहतरीन ग्राहकों तक पहुंचने के लिए मुंबई में प्रचलित उत्तम किस्म के भोजन के अनुभव को इंदौर लाना चाहते थे। हम वास्तव में एक ऐसी जगह बनाने में विश्वास करते हैं जहां ग्राहक वास्तव में आनंद ले सकें और एक अद्वितीय अनुभव प्राप्त कर सकें। हम अपने ग्राहकों को भोजन और माहौल का समृद्ध अनुभव देते हैं और जब वे जाते हैं तो उनमें फिर से हमारे पास आने की भावना रहती है।”

मिर्ची एंड माइम की सोच है कि मूक-बधिर लोगों को स्टाफ में शामिल किया जाये, और उनको समुदाय का एक सक्रिय हिस्सा बनाते हुए और उन्हें रोजगार का विकल्प देते हुए एक मंच प्रदान किया जाये। मेनू में भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) भी दी गई है जिसके माध्यम से आप कर्मचारियों के साथ संवाद कर सकते हैं। आधिकारिक भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) के बाद, मिर्ची एंड माइम रिवर्स इंक्लूजन की अपनी नीति पर खरा उतरने में सफल रही है, जिसका अर्थ है कि व्यक्तियों को मूक-बधिरों (एसएचआई) के प्रभुत्व वाले वातावरण में शामिल करना। रेस्टोरेंट केवल भोजन के बारे में नहीं है, बल्कि ग्राहकों को अनूठा अनुभव देने के बारे में भी है, ताकि वे महसूस कर सकें कि वे दुनिया में बदलाव ला रहे हैं।

इस कलयुग की रावण हैं ममता बैनर्जी : ऊर्जा गुरु अरिहंत ऋषि


  • पश्चिम बंगाल में रामनवमी जुलूस को रोके जाने पर भड़के ऊर्जा गुरु 
  • भीम आर्मी संस्थापक चन्द्रशेखर रावण को भी लिया आड़े हाथों
  • कहा धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करने वाले सुधार जाएं

उज्जैन :  महामना आचार्य श्री कुशाग्रनंदी जी महाराज के आत्मीय शिष्य ऊर्जा गुरु श्री अरिहंत ऋषि जी महाराज ने सोमवार को होटल समय, वासवानी प्लाजा, फ्रीगंज, उज्जैन में आयोजित हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ’उज्जैन बने आदर्श पवित्र नगरी’ की मांग के प्रति आंदोलनकारी रुख अपनाने की बात कही। इसके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल में राम नवमी का जुलूस रोके जाने से गुस्साए ऊर्जा गुरु ने मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी को खूब खरी खोटी सुनाई। सोमवार को महाकाल की नगरी पहुंचे अरिहंत ऋषि ने कहा कि, “रामनवमी के जुलूस को रोकने वाले और राम के नाम पर राजनीति करने वाले लोग भारत में पैदा होकर भी रावण की सिफारिश करते हैं और जिन ममता बैनर्जी ने श्रीराम के जुलूस को रोकने का प्रयास किया है वह इस कलयुग की रावण अवतार हैं।“

उन्होंने आगे कहा कि, “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को ये भी याद रखना चाहिए कि जिस प्रकार श्रीराम के साथ, हनुमान जी की वानर सेना ने लंका पर विजय प्राप्त की थी, उसी तरह हम भी उनकी लंका ढहा देंगें।“ इतना ही नहीं, ऊर्जा गुरु ने भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण को भी आड़े हाथों लिया। पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि, ’आज देश को ऐसे युवाओं की जरूरत है जो राम के नाम पर बात करें, रामराज्य स्थापित करने का स्वप्न देखे और उसे साकार करने के लिए कदम बढ़ाए। लेकिन कुछ लोगों का पैशन है अपने नाम के आगे रावण लगाना। इससे वह खुद को महात्मा समझने लगते हैं। उन्हें ये याद रखना चाहिए कि रावण का कोई वजूद नहीं है और श्रीराम एक ऐसे संस्कृति महापुरुष हैं जिनके नाम पर पूरा विश्व जाना जाता है।’ 

इस दौरान उन्होंने मध्यप्रदेश में आईटी डिपार्टमेंट की छापेमारी का जिक्र करते हुए ऐसे नेताओं पर सख्त कार्रवाई करने की बात भी कही जिनके ठिकानों से बेनामी संपत्ति जब्त की गई है। ऊर्जा गुरु के अनुसार, ’हमें बाहरी देशों में जमा काले धन से ज्यादा चिंता देश की मासूम जनता के साथ गद्दारी करने वाले नेताओं के पास जमा पैसों की होनी चाहिए। ऊर्जा गुरु का मानना है कि नेताओं के पास दबा काला धन यदि बाहर आ जाता है तो किसी भी सरकार को देश से 15 लाख देने का झूठा वादा नहीं करना पड़ेगा।

पिछले लंबे समय से उज्जैन को पवित्र नगरी बनाए जाने की मांग कर रहे ऊर्जा गुरु ने मध्यप्रदेश शासन से इस विषय पर अति शीघ्र विचार करने का आग्रह किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लेख भी भेजा गया है। ऊर्जा गुरु के अनुसार, यदि सूबे का प्रशासन इस ओर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं करता है तो इसे देशव्यापी रूप से एक व्यापक जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा।

उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित किए जाने की मांग कर रहे ऊर्जा गुरु का मानना है कि, भारत में सात ऐसे शहर है जहाँ की भूमि को पवित्र उत्तम फल देने वाला माना गया है। इन शहरों में एक नाम उज्जैन शहर का भी आता है। भगवान् महावीर की तपस्थली रही उज्जैन नगरी को विश्वभर में महाकाल की नगरी के रूप में जाना जाता है। इस लिहाज से दुनियाभर से पर्यटक उज्जैन भगवन महाकाल के दर्शन करने पहुंचते है। उन्होंने कहा कि, यदि उज्जैन में मंदिर परिसर के समीप मीट मांस और मदिरा जैसी दुकानें होती हैं तो यह कहीं न कहीं आस्था और स्थान की पवित्रता के साथ खिलवाड़ है। यहां शुद्धता का विशेष खयाल रखा जाना चाहिए। साफ सफाई के साथ-साथ सात्विक भोजन और सात्विक आचरण को बढ़ावा देने की तरफ ध्यान देना चाहिए।

टेक्नोलॉजी के सहारे खेती को लाभदायक व्यवसाय बनाने का उदाहरण विष्णु ने किया पेश

आज के दौर में किसानों की हालत सुधारने का दावा तो बहुत होता रहा है, लेकिन वास्तविक धरातल पर खेती के हालात में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। लेकिन इधर खेती को मुनाफे का सौदा बनाने को लेकर शुरू हुए स्टार्ट-अप की वजह से कृषि की तस्वीर बदल रही है, और किसानों ने स्टार्ट-अप के परामर्श और सहयोग से सरकारी दावे को हकीकत में बदलते हुए ‘लागत कम, उपज में बढ़त’ की सोच को संभव कर दिखाया है। ऐसे ही एक किसान हैं विष्णुजी, जिन्होंने खेती को न सिर्फ अपने जीवन के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिये भी लाभदायक बनाया। लेकिन किसान ऐसा कर कैसे रहे हैं? जवाब मिट्टी में छिपा है। जी हाँ, स्टार्ट-अप के सहयोग से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जाती है, जिससे खेत फसल-दर-फसल, और पीढ़ी-दर-पीढ़ी उपजाऊ बने रहते हैं। इंदौर जिले के बिरगोदा गाँव के किसान विष्णु ठाकुर भी इसी राह पर चले और उन्होंने अपनी खेती को लाभ का सौदा बना लिया। तो आइए देखते हैं कि अपनी खेती को लाभदायक बनाने के लिए विष्णु जी ने क्या-क्या किया।

कृषि को लाभदायक बनाने का सपना देखने वाले किसानों में से एक, विष्णु जी ने स्थितियों से समझौता करने के बजाय, उससे मुकाबला करने की ठानी। आज खुशहाल जीवन जी रहे विष्णु जी को यह बात तो बिल्कुल समझ में आ गई थी कि आज के तकनीकी दौर में पूरी तरह से परंपरागत खेती पर निर्भर रहना कहीं से भी समझदारी का काम नहीं है। जीवन के हर क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के बढ़ते हस्तक्षेप उनको साफ दिख रहे थे। उन्होंने भी कृषि टेक्नोलॉजी ग्रामोफोन का सहारा लिया, और अपनी 20 बीघा जमीन में गेहूँ की खेती की और 41.20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। इस तरह उन्होंने 658,000 रुपये का शुद्ध लाभ कमाया, जो बिना तकनीकी सहायता के उसी जमीन पर की गई खेती से 192,000 रुपये अधिक है। इसमें दिलचस्प बात यह रही कि तकनीकी सहायता से खेती करने में लागत भी कम आई, और उपज में काफी बढ़ोतरी हुई। पहले जो लागत 207 रुपये प्रति क्विंटल थी, वह घटकर 172 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। गेहूँ की खेती में मिली सफलता से प्रेरित होकर विष्णुजी ने डॉलर चने, सोयाबीन, लहसुन की खेती में भी यही प्रक्रिया अपनाई, और लाभ में क्रमशरू 65.52 प्रतिशत, 94.87 प्रतिशत, 105.56 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।

सवाल उठता है कि कृषि संकट के इस दौर में विष्णुजी ने किस प्रक्रिया को अपनाते हुए यह लाभ हासिल किया। विष्णुजी बताते हैं कि “मैंने कृषि आधारित स्टार्ट-अप, ग्रामोफोन द्वारा दी गई रिसर्च आधारित सलाह का पालन करना शुरू किया। जहां मुझे सबसे पहले अच्छी उपज के लिए शुध्द प्रमाणित बीज उगाने की सलाह दी गई. खेतों की बुआई से पहले व बाद, दोनों स्थितियों को बारे में बताया गया. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से नाइट्रोजन का इस्तेमाल, फास्फोरस तथा पोटाश का प्रयोग, मशीन न मिलने की स्थिति में उर्वरकों का छिड़काव आदि जैसी जरुरी बातों के बारे में भी विस्तार से बताया गया। सिंचाई के माध्यमों का भी खास ख्याल रखा, पहली सिंचाई मुख्य जड बनते समय, दूसरी सिंचाई गांठ बनते समय, तीसरी सिंचाई बालियां निकलने तथा चैथी सिंचाई दानों में दूध पडते समय करने की सलाह मिली और इसी हिसाब से सिंचाई को अंजाम भी दिया।  इन्ही सलाहों पर चलते हुए यूरिया उर्वरक की मात्रा में 25 प्रतिशत की कमी की और पानी के साथ इसका मिश्रण (300 ग्राम प्रति बीघा) बनाकर छिड़काव किया। इसके बाद पोटाश का उपयोग किया, जिससे गेहूं की गुणवत्ता में वृद्धि हुई, और दानें मोटे हुए और चमक बढ़ गई। कुल मिलाकर मुझे इस बार गेहूँ का रेट ज्यादा मिला।” 

विष्णु जी ने कदम दर कदम सावधानी बरती, और चाहे वह गेहूँ की खेती हो, या डॉलर चने, सोयाबीन या लहसुन की खेती हो, बीजों के ट्रीटमेंट पर खास ध्यान दिया, और जहां जिस खेती में जैसी जरूरत रही, वैसे रसायनों का प्रयोग किया, जैसे सल्फर, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स आदि। अपनी सफलता के लिए अपनी नई सोच और मेहनत के अलावा विष्णु जी डिजिटल टेक्नोलॉजी का खेती में अनुप्रयोग करने वाली कंपनी, ग्रामोफोन को भी याद करते हैं, जिसके तकनीकी परामर्श से उनके लिए कम लागत पर उपज में बढ़त हासिल करना संभव हुआ है। जो भी व्यक्त् ग्रामोफोन द्वारा दी गई सेवाओं का अनुभव करना चाहता है, वह बस (1800 315 7566) टोल-फ्री नंबर पर एक मिस कॉल दे सकता है या प्ले स्टोर से https://play.google.com/store/apps/details?id=agstack.gramophone ग्रामोफोन ऐप डाउनलोड कर सकता है।

मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

रोस्टेक ने रूसी विमानों की नई लाइन का विस्तार किया

भारत : रूसी स्टेट कॉर्पोरेशन, रोस्टेक देश के पहले ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट Il-112V के निर्माण परियोजना को कार्यान्वित कर रहा है।रोस्टेक के संगठनों द्वारा बनाये गये एयरक्राफ्ट के कम्पोरनेंट्स और असेंबलीज, ने विमान की पहली उड़ान के दौरान सफल प्रदर्शन किया।यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (यूएसी) द्वारा निर्मित Il-112V के पहले प्रोटोटाइप ने 30 मार्च को वोरोनेश में उड़ान भरी।

पुराने विमानों की तुलना में परिवहन क्षमता को दो गुना करने के लिए, आगे चलकर An-26 विमानों के पुराने बेड़े की जगह Il-112V एयरक्राफ्ट लेंगे। वैश्विक बाजार में यह नया एयरक्राफ्ट अपने समकक्ष विमानों के साथ महत्वपूर्ण प्रतियोगी के रूप में उभरेगा।

Il-112V के सभी कम्पोवनेंट्स रूस में बने हैं। इसमें आधुनिक TV7-117ST टर्बो प्रॉप इंजन लगा हुआ है। जिसे यूनाइटेड इंजन कॉर्पोरेशन (यूईसी) ने डिज़ाइन किया है और इसका निर्माण किया है। इसमें अधिकतम 3100hp काटेक-ऑफपॉवर आउटपुट है।कुछ सर्वोत्तम पैरामीटर वाले इन इंजनों की पहचान, उनके ही वर्ग के विमानों की तुलना में, उनके मॉड्यूलेरिटी और कार्य कुशल ईंधन की खपत से बनती है। इसके अलावा, रेडियो-इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजीजकंसर्न, केआरईटी, ऑटोमेटिक कंट्रोल सिस्टम लागू कर रहा है और टैक्नोडिनामिका होल्डिंग कंपनी ने विमान के लैंडिंग गियर, हाइड्रोलिक्स और पॉवर सप्लाई सिस्टम को डिजाइन किया है।

रोस्टेक के एविएशन क्लस्टर के निदेशक, अनातोली सेरद्यूकोव ने बताया कि “Il-112V के प्रमुख लाभों में से एक लाभ, अनपेक्षित रनवे पर काम करने की संभावना है। इस विमान का उपयोग उच्च ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्र और बेहद कम तापमान जैसी बेहद कठिन परिस्थितियों में किया जा सकता है। एशिया (भारत सहित) में रूट नेटवर्क और हवाई परिवहन संरचनाओं के पूर्वानुमानित परिवर्तन, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को लागू करने के लिए चीन के बढ़ते प्रयासों के साथ-साथ लैटिन अमेरिकी देशों के बीच बढ़ते हवाई यातायात की वजह से हम रूस और विदेश दोनों में Il-112V की उच्च मांग को लेकर आश्वस्त हैं। अगले 20 वर्षों में इस वर्ग के एअरक्राफट के लिए वैश्विक मांग लगभग 450-500 विमान होने का अनुमान है।”

इस हल्के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट Il-112V का उपयोग नागरिक क्षेत्र में विभिन्न कार्यों के लिए किया जा सकता है।विमान के नागरिक संस्करण को विभिन्नं कार्यों के लिए, और 5 टन तक के विभिन्न कार्गो परिवहन के लिए डिज़ाइन किया गया है। क्रूज स्पी्ड 470 किमी/घंटा है और जब कच्चेक एयरफील्ड् से उड़ान भरना हो तो अधिकतम लोड के साथ अधिकतम फ्लाइट रेंज 1,200 किलोमीटर है।

रोस्टेक नेस्ट्रेटजी-2025 योजना के अनुसार एविएशन क्लरस्ट‍र परियोजनाओं को विकसित करने के अपने व्यापक कार्यक्रम को जारी रखा है, जिसका उद्देश्य 2025 तक नागरिक उत्पादन को विकसित करना, परिचालन क्षमता में सुधार करना और नए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच बनाना है।

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