loading...

मंगलवार, 19 मार्च 2013

शादीवाला दारोगा

सामाजिक कथा

वन्दना-अजीत एक दूसरे को वरमाला पहनाते
पुलिस अधिकारियों का पाला अक्सर चोर-डकैत और गुण्डे-बदमाशों से पड़ता ही रहता है.उनसेे किस तरह निपटना है यह भी पुलिस वालों को बखूबी पता होता है. यूॅ तो पुलिस जनता की जान-माल की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सदैव तत्पर रहती है. हमेशा अपराधियांे-अराजकतत्वों के पीछे भागने वाली पुलिस को कम ही समय मिलता है जब वह किसी की परेशानियों व मुसीबतों को शिद्दत से महसूस करते हो और उनके लिए तन-मन से समर्पित हो जाते हो. हजारों पुलिस कर्मियों की भीड़ में कुछ पुलिस वाले ही ऐसे होते है जो मानवीय गुणों को अपनाते हुए मुसीबतजदा लोगो की दिल से मदद करते है और जहाॅ तक बन पड़ता है समाज को जोड़ने के साथ लोगों को खुशियां बांटने का काम करते है. ऐसे ही तमाम पुलिस वालों में एक नाम जुड़ गया है- शमशेर बहादुर सिंह श्रीनेत का.
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के खेतासराय के वर्तमान थाना प्रभारी के पद पर कार्यरत शमशेर बहादुर सिंह श्रीनेत की पहचान इन दिनों शादी वाले दारोगा के रूप में बन गई है. महज एक महीने के भीतर चार प्रेमी-प्रेमिकाओं की शादी कराकर उनका घर बसाने का काम किया है. दरअसल यह चारों प्रेमी जोड़ा आपस में एक दूसरे से मोहब्बत करते थे और उनकी मंशा शादी कर घर बसाने की थी, लेकिन कहीं लड़के तो कहीं लड़की के माता-पिता और परिवारजन उनके रास्ते का रोड़ा बने हुए थे. यहाॅ तक की कुछ मामलों में तो दोनों पक्ष एक दूसरे को देख लेने और मरने-मारने तक उतारू हो गये, मामला पुलिस थाने तक पहुॅचा और थाना प्रभारी शमशेर बहादुर सिंह श्रीनेत ने सूझ-बूझ से काम लिया और दोनों पक्षों के परिजनों को समझा-बुझाकर प्रेमी जोड़े को शादी के बंधन में बांध दिया.

पहला मामला खेतासराय कस्बे के मानीखुर्द मुहल्ले में रहने वाले रियाज अहमद के घर से जुड़ा है. ईद के एक दिन पहले 18 अगस्त को आधीरात के वक्त मुहल्ले के लोग चोर-चोर का शोर मचाने लगे. उस वक्त थाना प्रभारी शमशेर बहादुर दल-बल के साथ इलाके की गश्त पर निकले थे. चोर के शोर ने उनका भी ध्यान खींचा और वह मामले को समझने के लिए रियाज अहमद अंसारी के दरवाजे पर पहुॅच गये. पता किया तब मालुम चला कि मुहल्ले के एक शख्स ने किसी अन्जान व्यक्ति को रस्सी के सहारे रियाज अहमद के मकान में चढ़ते देख उसी ने चोर का शोर मचा दिया. सच्चाई जानने और चोर को पकड़ने लिए रियाज अहमद के घर का एक-एक कोना छाना जाने लगा. जब रियाज अहमद की बेटी तरन्नुम के कमरे में पहुॅचे तो एक कोने में छिपा हुआ चोर पकड़ में आ गया. पूछताछ में खुलासा हुआ कि वह कोई चोर नहीं बल्कि तरन्नुम का प्रेमी फहीम है जो आधी रात को रस्सी के सहारे अपनी प्रेमिका तरन्नुम से मिलने और उसे ईद की अग्रिम मुबारकबाद देने आया था. फहीम हत्या के एक मामले में साल भर पहले जेल भी जा चुका था. तरन्नुम के पिता रियाज अहमद बेटी के प्रेमी फहीम की जान लेने पर उतारू हो गये. मौके की नजाकत को देख थाना प्रभारी श्री सिंह ने रात में ही तरन्नुम और फहीम को अपने साथ थाने लिवा लाये.

अगले दिन 19 अगस्त को खेतासराय थाने में तरन्नुम और फहीम के परिवारजनों को बुलाकर दोनों में सुलह कराने का प्रयास किया गया, लेकिन तरन्नुम के अब्बा रियाज अहमद अब अपनी बेटी को साथ रखने को तैयार नहीं थे तो दूसरी तरफ फहीम के पिता जैनुल आब्दीन तरन्नुम को अपने घर की बहु बनाने को राजी नहीं थे, दोनों पक्ष की त्योरियां चढ़ी हुई थी. थाना प्रभारी श्री सिंह ने दोनों पक्षों को पहले बड़े प्यार से समझाया फिर फहीम के पिता से कहा, ‘‘तुम्हारा बेटा पहले से ही हत्या के मामले में जेल जा चुका है और अभी जमानत पर बाहर है, यदि फहीम और तरन्नुम का निकाह नहीं हुआ तो इस बार मैं फहीम पर ऐसी धारा लगाकर चालान करूॅगा कि जल्द जमानत भी नहीं होगी और जेल में सड़ेगा. थाना प्रभारी श्री सिंह की मेहनत रंग लायी और फहीम के अब्बाजान तरन्नुम को अपने घर की जीनत (बहु) बनाने को राजी हो गये. लिखा पढ़ी के साथ तरन्नुम को फहीम के अब्बा अपने घर लिवा लाये और अगले दिन ईद की नमाज के बाद थाना प्रभारी श्री सिंह की उपस्थिति में फहीम और तरन्नुम का निकाह पढ़ा दिया गया. आज तरन्नुम अपने पति फहीम के साथ ससुराल में खुश है.

29 अगस्त 2012 को थाना प्रभारी शमशेर बहादुर सिंह श्रीनेत कार्यालय में बैठे एक आवश्यक फाइल देख रहे थे तभी रोती-कलपती, घबराई एक युवती कार्यालय में दाखिल हुई. युवती ने अपना परिचय देते हुए बताया कि उसका नाम शाहीन है और वह शाहगंज थानाक्षेत्र के सिधाएं गाॅव निवासी शाहबाज खान की बेटी है. शाहीन की अम्मी के इन्तकाल के बाद शाहबाज खान ने दूसरी शादी कर ली. सौतेली मां बेटी शाहीन के साथ कभी अच्छा व्यवहार नहीं किया हमेशा उसे प्रताडि़त करती तथा ठीक से खाना भी नहीं देती. सौतेली मां के अत्याचार से तंग आकर पाॅच माह पूर्व मैं घर छोड़कर भाग निकली, मैं अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेती यदि मुझे मानीखुर्द निवासी सलाउद्दीन का सहारा न मिलता. सलाउद्दीन मुझे बेटी बनाकर अपने घर लाये, मुझे एक नया सहारा और ठिकाना मिल गया, मैं उन्हीं के घर में रहने लगी. सलाउद्दीन का बेटा इरफान उर्फ गोरे हमसे प्यार भरी बातें कर मुझे अपने प्रेमजाल में फांस लिया. मेरे साथ निकाह करने का वादा करके कई बार मुझसे जिस्मानी सम्बन्ध भी बनाये. मेरे पेट में इरफान का बच्चा पलने लगा तो आज सुबह सभी लोग मुझे मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया, मेरे पेट में दो माह का गर्भ है. उन सबों ने धमकी दी है कि यदि मैंने इरफान का नाम लिया तो मुझे जान से मार डालेंगे. मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं सचमुच में अपनी जान दे दूॅगी क्योंकि बिन ब्याही मां बनने का कलंक लेकर मैं जी नहीं पाऊंगी, पिता के घर का दरवाजा पहले ही बन्द है.

दिलीप-रीता को आशीर्वाद देते थाना प्रभारी व उनके परिजन
थाना प्रभारी शमशेर बहादुर सिंह ने एक सब इंसपेक्टर को भेजकर सलाउद्दीन और उसके बेटे इरफान उर्फ गोरे को थाने बुला लिया. पूछताछ में इरफान ने कबूल कर लिया कि शाहीन के साथ उसके शारीरिक सम्बन्ध रहे है, इसके बावजूद सलाउद्दीन किसी कीमत पर शाहीन को अपनी बहु बनाने को तैयार नहीं हुए. वह शाहीन को ही चरित्रहीन ठहराकर उससे पीछा छुड़ाना चाहते थे, लेकिन थाना प्रभारी श्री सिंह ने ऊंच-नीच समझाते हुए कहा कि यदि शाहीन को नहीें अपनाया गया तो वह उसकी ओर से एक ऐसा मुकदमा दर्ज कर पिता-पुत्र दोनों पर ऐसी धारा लगाकर जेल भेजेंगे कि जल्द जमानत भी नहीं होगी. इतना ही नही वह शाहीन के गर्भ में पल रहे बच्चे का डी0एन0ए0 टेस्ट भी करायेंगे इसके बाद सच्चाई को नकार नही पाओगे. एफ0आई0आर0 और डी0एन0ए0 जाॅच की बात पर इरफान के पिता सलाउद्दीन शाहीन को अपनाने उसे अपने घर की बहु बनाने को राजी हो गये. लिखापढ़ी के साथ दो दिन बाद थाना प्रभारी श्री सिंह के प्रयास से शाहीन व इरफान का निकाह भी हो गया. अब शाहीन अपने पति इरफान के साथ खुश है.

तीसरा वाकया 07 सितम्बर 2012 का है थाना खेतासराय के ग्राम भदैला निवासी पेशे से अध्यापक नन्दूराम की बेटी वंदना जो बी0ए0 द्धितीय वर्ष की छात्रा है. पढ़ाई के दौरान वंदना का अपने ही कालेज के बी0ए0 तृतीय वर्ष के एक सजातीय छात्र अजीत से प्रेम हो गया और दोनों एक साथ जीवन-जीने का निर्णय भी ले लिया. इधर बेटी के प्रेम-प्रसंग से अनभिज्ञ पिता नन्दूराम ने वंदना की शादी एक दूसरे लड़के के साथ तय कर दी. रिश्तेदार और बिरादरी में भी बात फैल गयी कि वंदना की शादी अमुक दिन अमुक लड़के के साथ होगी. लेकिन वंदना ने इस शादी से इन्कार कर दिया उसने मां-बाप से साफ कह दिया कि वह शादी करेगी तो अजीत से वरना अपनी जान दे देगी. बेटी की जिद पर पिता नन्दूराम वंदना की शादी अजीत से करने को राजी हो गये, लेकिन अजीत के पिता पन्नालाल पहले तो शादी के लिए राजी नहीं हुए पर बहुत समझाने पर तैयार हुए और तीन साल बाद शादी करने की बात कही. मास्टर नन्दूराम को लगा अजीत के पिता समय का बहाना बनाकर टाल-मटोल कर रहे है, उधर अपनी बेटी वंदना का भविष्य देखते हुए वन्दना और अजीत के प्रेम संबंधों का जिक्र करते हुए थानाध्यक्ष खेतासराय को एक प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार की.

अगले दिन थाना प्रभारी श्री सिंह अजीत उसके पिता पन्नालाल को थाने बुलवाया और उन्हें जल्द से जल्द शादी करने को कहा. दरअसल वंदना और अजीत का प्रेम पिछले दो सालों से चल रहा था और वे दोनों तन-मन से एक दूसरे के हो चुके थे, उन्हें तो सिर्फ अपने मां-बाप का आशीर्वाद चाहिए था जो नहीं मिल रहा था. थाना प्रभारी श्री सिंह ने दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाकर घंटों समझाया तो अजीत के पिता मान गये, फिर क्या था उसी समय थाना परिसर स्थित दुर्गा मन्दिर में ही वंदना और अजीत की शादी सम्पन्ना करा दी गयी. थाने से ही वंदना अपने पति अजीत के साथ ससुराल के लिए विदा हो गई.

सब इंस्पेक्टर शमशेर बहादुर सिंह श्रीनेत
युनूसपुर मनेछा निवासिनी धनदेई देवी 09 सितम्बर को स्थानीय थाना खेतासराय के प्रभारी श्री सिंह को एक प्रार्थना पत्र दिया. दिये गये प्रार्थना पत्र में धनदेई ने लिखा था कि उनकी बेटी रीता देवी जो बी0ए0 द्वितीय वर्ष की छात्रा है उसे गांव का दिलीप नाम का युवक बहला-फुसलाकर भगा ले गया है. प्रार्थना पत्र पर कार्यवाही करते हुए दिलीप की खोज की गयी तो वह फरार मिला. दिलीप के पिता राजाराम से हुयी पूछताछ में खुलासा हुआ कि दिलीप रीता को मुम्बई भगा ले गया है. दिलीप के पिता पर दबाव बनाया गया तब तीन दिन बाद दिलीप रीता को लेकर जौनपुर वापस आ गया. दिलीप और रीता थानाध्यक्ष श्री सिंह के समक्ष उपस्थित हुए और थाना प्रभारी को बताया कि वे दोनों एक ही कालेज में पढ़ते है और पिछले दो सालों से उन दोनों में प्रेम-सम्बन्ध है तथा शादी करना चाहते है. दिलीप के अनुसार उसके पिता रीता को बहु बनाने को तैयार नहीं थे उनका कहना है यदि मैंने रीता से शादी की तो वह मुझे घर पर नहीं रखेगे और अपनी सम्पत्ति से बेदखल कर देगे. मैं रीता को धोखा नहीं देना चाहता था इसलिए मैं रीता को लेकर 21 अगस्त को घर से भागकर मुम्बई पहुॅच गया. मैंने मुम्बई में एक मन्दिर में रीता से शादी कर ली. दिलीप ने रीता के साथ मन्दिर में हुए शादी से सम्बन्धित कई फोटोग्राफ भी थाना प्रभारी को दिखायें.

फोटो देखने से सब कुछ साफ हो गया था, थाना प्रभारी शमशेर बहादुर सिंह श्रीनेत ने दिलीप के पिता राजाराम को समझा-बुझाकर इस बात के लिए राजी कर लिया कि वह रीता को बहु के रूप में अपने घर पर रखेंगे. थाना प्रभारी श्री सिंह ने एक बार फिर पण्डित को बुलवाकर थाना परिसर स्थित दुर्गा मन्दिर में दिलीप के पिता राजाराम और रीता की मां धनदेई देवी के अलावा दोनों के परिवारजनों की उपस्थिति में दिलीप और रीता की शादी सम्पन्न कराकर वर-वधू को आशीर्वाद देते हुए थाने से उनकी विदाई कर दी. आज दिलीप अपनी पत्नी रीता के साथ सुख पूर्वक पिता के घर पर रह रहा है.

थाना प्रभारी श्री सिंह को इस बात का बेहद अफसोस है कि उन्हें अपने ही थाना क्षेत्र की बबीता यादव पुत्री शेर बहादुर जो हाईस्कूल की छात्रा थी के प्रेम सम्बन्ध के बारे में समय पर पता नहीं चला अन्यथा वह बबीता के लिए जरूर कुछ करते. दरअसल ग्राम मनेछा शेखूपुर निवासी बबीता गांव के ही इण्टर के एक छात्र सुशील कुमार यादव से प्रेम करने लगी. नाबालिक बबीता और सुशील के प्रेम सम्बन्धों की भनक दोनों के परिवारजनों को भी लग गयी, फिर क्या था दोनों के प्यार पर पहरा बिठा दिया गया, उनकी निगरानी की जाने लगी. परिवारजनों की बंदिश से आजिज आकर 28 अगस्त 2012 को बबीता का प्रेमी सुशील मानी हाल्ट रेलवे के नजदीक ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी. प्रेमी सुशील के आत्महत्या की जानकारी होने पर अगले दिन 29 अगस्त को बबीता यादव भी उसी स्थान पर जहाॅ सुशील ने मौत को गले लगाया था वहीं दून एक्सप्रेस टेªन के आगे बबीता ने भी कूदकर अपनी जान दे दी. दोनों का शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया, आज उन्हें भी अफसोस हो रहा है कि यदि अपने बच्चों पर बंदिशे न लगाते और उनकी भावनाओं को समझते हुए प्यार से समझाते तो शायद दोनों को जान देने की नौबत न आती.

थाना प्रभारी शमशेर बहादुर सिंह श्रीनेत के अनुसार टीनेजर्स, कालेजों मे पढ़ने वाले लड़के-लड़कियां आज के टी0वी0 और सिनेमा युग में अपनी लाइफ को ठीक उसी अनुसार ढालने का ख्वाब संजो लेते है जैसा परदे पर देखते है. वह यह  भूल जाते है कि रील लाइफ और रीयल लाइफ में जमीन-आसमान का फर्क होता है मां-बाप को भी ऐसे नाजुक मामलों में समझदारी से काम लेना चाहिए. मां-बाप की जिद के कारण ही अनहोनी की ऐसी घटनायें घटती है. समझदारी के अभाव में आज समाज में आॅनर किलिंग की घटनायें दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है. समाज में रहने वाले लोगांे को सोचना चाहिये कि उनके सामने हमेशा दो विकल्प मौजूद होते है जिससे हमारी न निभे या जो हमारी सोच में फिट न बैठे उससे हम अपने सम्बन्ध तोड़ सकते है, अलग हो सकते है, दूर रह सकते है  लेकिन उन्हंे खास कर बच्चों को उनकी मर्जी का जीवन जीने में बाधक नहीं बनना चाहिए.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

loading...