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शनिवार, 7 सितंबर 2019

क्रेयॉन ने ‘स्पॉट द फेक’ का अनावरण किया

यह कोका-कोला इंडिया द्वारा समर्थित एक डिजिटल साक्षरता कार्यशाला है

आज की दुनिया में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स कंटेन्ट और सूचना के उपभोग का केन्द्र बन गये हैं। महज एक बटन को क्लिक करने पर बेहद आसानी से सारी जानकारी मिल जाती है, और इसने लोगों की जिंदगी को बदलकर रख दिया है। यह सरलता एक वरदान सिद्ध हुई है, लेकिन सूचना के सही उपयोग और उपभोग के लिहाज से इसके उपयोग में जिम्मेदारी का भाव भी होना चाहिये। इस चुनौती को देखते हुए क्रेयॉन-एलएक्सएल आइडियाज ने डिजिटल साक्षरता की कार्यशाला ‘स्पॉट द फेक’ लॉन्च की है, जिसमें कोका-कोला इंडिया ने भी सहयोग किया है। 
डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण कार्यशाला ‘स्पॉट द फेक’ सितंबर से लेकर नवंबर तक स्कूलों में शिक्षकों और अभिभावकों के लिये संचालित की जाएगी, ताकि उन्हें जानकारी साझा करने वाले मंचों के रूप में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग समझाया जा सके। यह पहल हमारे सभी मूल्यवान उपभोक्ताओं को साझा सूचना की विश्वसनीयता जाँचने का महत्व बताने के लिये है, जिनमें अपने शिक्षकों और अभिभावकों से सीखने वाले लोग भी शामिल हैं। 
क्रेयॉन-एलएक्सएल आइडियाज के प्रबंध निदेशक एवं चीफ लर्नर श्री सैयद सुल्तान अहमद ने कहा, ‘‘सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया के जरिये हमारे पास भारी मात्रा में सूचनाएं आती हैं। चुनौती यह है कि किस पर विश्वास करें और किस पर नहीं। सूचना में अंतर करना और फर्जी तथा सही सूचना को पहचानना एक अनिवार्य कुशलता है, जो हमारे बच्चों में होनी चाहिये। हमारी शिक्षा प्रणाली को परीक्षाओं में विद्यार्थियों के आकलन से आगे बढ़ना चाहिये। उन्हें सूचना के विश्लेषण एवं अंतर की कुशलता देना आधुनिक युग की मांग है।’’

इस पहल पर टिप्पणी करते हुए कोका-कोला इंडिया एवं साउथ वेस्ट एशिया में पब्लिक अफेयर्स, कम्‍यूनिकेशंस एवं सस्‍टेनेबिलिटी के वाइस प्रेसिडेन्ट इश्तियाक अमजद ने कहा, ‘‘डिजिटल दुनिया तेजी से बढ़ रही है और सूचना की भारी मात्रा के कारण कंटेन्ट की विश्वसनीयता को परखना कठिन है। इसलिये हम क्रेयॉन को शिक्षकों के लिये डिजिटल साक्षरता कार्यशाला में सहयोग दे रहे हैं। इस पहल के माध्यम से हम आज के युग में हमारे उपभोक्ताओं को उपलब्ध सूचना की विश्वसनीयता जाँचने का महत्व बताना चाहते हैं।’’

यह बेहतरीन डिजिटल कार्यशाला वास्तविक जीवन के विभिन्न उदाहरणों के जरिये हमारे पास आने वाली सूचना के प्रभाव पर प्रकाश डालेगी, जिन्‍हें हम अक्सर इसकी विश्वसनीयता को परखे बिना साझा कर देते हैं। 

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