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सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

डायन के नाम पर मौत

वास्तविकता से दूर सरकार का कथन
जमशेदपुर के कमलपुर अंतर्गत गोपालपुर की विधवा महिला बेदुला कुंम्भकार की गांव के ही मितन एवं अन्य ने डायन होने का संदेह करते हुए पिटाई कर दी। किसी तरह अन्य ग्रामीणों के सहयोग से विधवा महिला बेदुला जान बच पाई। महिला के बयान पर पुलिस ने मितन एवं अन्य के खिलाफ डायन की संदेह में जान मारने की नीयत से हमला किए जाने का मामला दर्जकर जांच कर रही है। बिहार से अलग होकर गठित राज्य झारखण्ड में इस तरह के समाचार आए दिन अखबारों की सुर्खियां बने रहते हैं।

इक्सवीं सदी के भारत में आज जहां देशवासी दिन-प्रतिदिन नए आयाम छू रहे है, वहीं झारखण्ड आज भी कुरीतियों से जूझ रहा है। राज्य गठित हुए लगभग बारह साल से अधिक समय बीत गए हैं, लेकिन आज भी यहां डायन के नाम पर औरतों को प्रताडि़त किया जा रहा है। आकड़ों पर गौर करें तो 1991 से 2006 के बीच अकेले सिंहभूम में लगभग 177 महिलाएं डायन के आरोप में मौत के घाट उतारी जा चुकी हैं। जबकि पूरे प्रदेश में लगभग 917 महिलाएं मौत के घाट उतारी जा चुकी हैं।

मानवाधिकार आयोग ने कई बार झारखण्ड में व्याप्त इन कुरीतियों के प्रति अपनी गंभीरत दिखाते हुए इस संबंध में राज्य सरकार को निर्देश भी दिए, फिर भी लगता है कि यहां अंधविश्वास की जड़ंे इतनी गहरी हैं कि कानून लागू होने के बावजूद इस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

गौर तलब है कि विगत 15 नवम्बर 2000 को झारखण्ड राज्य के गठन के साथ ही राज्य में डायन प्रथा प्रतिषेध धिनियम लागू कर दिया गया था। इस अधिनियम के अंतर्गत डायन का आरोप लगाने वाले पर अधिकतम तीन महीने की कैद या फिर एक हजार रूपए जुर्माने का प्रावधन है। किसी महिला को डायन बता प्रताडित करने पर छह महीने की कैद, दो हजार रूपए का जुर्माना या फिर दोनों की सजा का प्रावधन है।

हांलाकि प्रदेश सरकार के अनुसार यह कुरीति पूरी तरह से खत्म हो गई है, पर आकड़े दर्शाते है कि सरकार का यह कथन वास्तविकता से दूर है। 
1991 से 2006 के बीच डायन के नाम पर हुई मौतों का आकड़ा 
  • जिला     मृत्यु
  • रांची       203
  • सिंहभूमि     177
  • लोहरदगा    127
  • पलामू       060
  • धनबाद      006
  • सिमडेगा     035
  • कोडरमा     015
  • गिरीडीह     015
  • चतरा       010
  • साहेबगंज    004
  • देवघर      016
  • दुमका      011


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